कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर कई तरह के सवाल किए जा रहे हैं। मसलन, यह कितना खतरनाक है। इसके खिलाफ वैक्सीन कारगर है या नहीं। यह कितने देशों में फैला है। इन सबके बीच अब इसके नामांकन को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस नए वैरिएंट का नामकरण अब तक की प्रचलित पद्धति से हटकर किया है। सवाल उठाने वालों का कहना है कि ऐसा चीन के भय से या फिर उसके दबाव में किया गया है। कारण जो भी रहा हो लेकिन नए वेरिएंट का नाम ओमीक्रॉन होने के बाद से एक क्रिप्टो करेंसी की चांदी हो गई है। नए वेरिएंट के नामांकन के एक हफ्ता बाद ही उक्त क्रिप्टो करेंसी में दस गुना का उछाल आया है।
दरअसल, तूफानों एवं समुद्री चक्रवातों के नामकरण की तर्ज पर कोरोना वायरस के नाम रखने की व्यवस्था बनाई गई है। यह व्यवस्था डब्ल्यूएचओ ने बनाई है। उक्त व्यवस्था के तहत ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों को क्रम से लेकर कोरोना के वेरिएंट का नामकरण किया जाता है। इसी क्रम में पिछला वैरिएंट का नाम डेल्टा रखा गया। इस व्यवस्था के अनुसार कोरोना के नए वेरिएंट का नामकरण ग्रीक वर्णमाला के अगले अक्षर ‘नू’ (एन और यू) पर होना था। लेकिन डब्ल्यूएचओ ने न केवल ‘नू’ बल्कि इसके अगले अक्षर ‘शी’ (एक्स और आई) को भी छोड़ दिया। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने नए वेरिएंट का नाम ओमीक्रोन रख दिया। यहीं से सवालों का दौर शुरू हो गया। खबरों की मानें तो दक्षिण अफ्रीका में पाए गए नए कोरोना वेरिएंट के नामांकन में डब्ल्यूएचओ ने ‘शी’ (अंग्रेजी वर्णमाला के एक्स और आई से मिलकर बना शब्द) का प्रयोग नहीं किया। कहा जा रहा है कि यह शब्द चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम से मिलता जुलता होने के कारण नहीं रखा गया।
नामकरण पर सबसे पहले ‘द टेलीग्राफ’ के वरिष्ठ पत्रकार पाल नुकी के ट्वीट को अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद टूड क्रूज ने रिट्वीट करते हुए सवाल दागा है। क्रूज ने लिखा, ‘यदि डब्ल्यूएचओ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से भयभीत है तो उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है कि भविष्य में इस प्रकार की आपदा के फैलने में उसकी भूमिका पर वह सवाल उठा पाएगा। पिछले कुछ समय से सर्वविदित हो चुका है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का डब्ल्यूएचओ में काफी प्रभाव है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस पर चीनी दबाव में काम करने का आरोप पहले भी लगते रहे हैं। जानकारी के मुताबिक घेब्रेयेसस अफ्रीकी देश इथोपिया से आते हैं। चीन ने वहां भारी निवेश कर रखा है।
खैर, इन विवादों से इतर कोरोना के नए वेरिएंट का नाम ओमीक्रॉन रखने से क्रिप्टो करेंसी ‘ओमीक्रॉन’ को जबरदस्त फायदा हुआ है। इस करेंसी में एक सप्ताह के अंदर 10 गुना का उछाल आया है। यह छोटी क्रिप्टोकरंेसी दो कारणों से चर्चा में आ गई है। क्रिप्टोकरेंसी ओमीक्रॉन एक तो अपने नाम और दूसरे तेजी से बढ़ते रिकॉर्ड के चलते सुर्खियां बना रही है। मार्किट एनालिस्ट्स यह भी कह रहे हैं कि इसके नाम के चलते ही इसके रिकॉर्ड में तेजी दर्ज की गई है।
क्रिप्टोकरेंसी रिसर्च एजेंसी क्वाइन मार्किट कैप के मुताबिक, 26 नवंबर को इसकी कीमत 65 डॉलर यानी 4,874 रुपए थी। 29 नवंबर तक बढ़कर 680 डॉलर यानी 50,996 रुपए हो गई। इसके बाद इसकी कीमत काफी लुढ़की भी है। क्वाइन मार्किट कैप का कहना है कि ओमिक्रॉन क्रिप्टोकरेंसी नवंबर की शुरुआत में ही लॉन्च हुई थी। लॉन्चिंग के बाद से इसकी कीमत स्थिर चल रही थी। लेकिन वायरस के वेरिएंट का नामकरण होने के बाद इसकी मांग में वृद्धि आई है। इस कारण इसकी कीमत में वृद्धि देखी गई है। इस क्वाइन की तेजी ‘स्क्विड गेम क्रिप्टो’ की याद दिला रही है, जिसका नाम एक चर्चित वेब सीरीज के ऊपर रखा गया था। लोगों ने इसे भी बहुत सराहा था।