इस्लामी परंपरा के अनुसार शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता। इसमें मृत शव को दफनाने की परंपरा रही है। मगर श्रीलंका में 19 शवों का दाह संस्कार हुआ है। ये शव कोलंबो के मुर्दा घर में पड़े 9 दिसंबर को श्रीलंका के अटार्नी जनरल दापुला दि लिवेरा ने आदेश में कहा इन शवों का दाह संस्कार सरकार द्वारा किया जाए। कोविड-19 के शिकार हुए जिन लोगों के शव उनके परिजन नहीं ले जा रहे हैं, उनकी अंत्येष्टि क्वारंटीन नियमों के कारण कराई जा सकती है। 9 दिसंबर को पांच शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। बाकी शवों की अंत्येष्टि इस हफ्ते के अंत तक की जाएगी।
श्रीलंका में अक्टूबर के बाद कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आई है। अब तक देश में लगभग साढ़े 29 हजार मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 9 दिसंबर तक 142 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से मृत लोगों की अंत्येष्टि के लिए तय किए गए नियमों को अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय तथा सिविल सोसायटी के कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस सिलसिले में कुल 12 याचिकाएं दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई कारण बताए याचिकाएं खारिज कर दी।
मानव अधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े एक अनुसंधानकर्ता ने टीवी चैनल अल जजीरा से कहा कि मुसलमानों की धार्मिक परंपरा में शवों की अंत्येष्टि करना अनुचित है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों में साफ कहा गया है कि कोविड-19 से पीड़ित रहे व्यक्तियों के शवों को जलाया या दफनाया जा सकता है। श्रीलंका मुस्लिम काउंसिल नाम के संगठन ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में ज्यादातर मुसलमान ही हैं। मुसलमान इस डर से अपनी जांच कराने नहीं जा रहे हैं कि अगर उनकी जांच पाॅजिटिव रही और उनकी मौत हो गई तो उसे शव को जला दिया जाएगा।
मुस्लिम देशों के संगठन आर्गनाइजेशन आॅफ इस्लामिक को-आपरेशन ने पिछले महीने श्रीलंका से अनुरोध किया था कि वह मुसलमानों को अपने परिजनों की अंत्येष्टि अपनी धार्मिक परंपरा के अनुसार करने दे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि शव को जलाना या दफनाना दोनों मान्य हैं। बौद्ध समुदाय राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का मुख्य वोट बैंक है। इसी समुदाय के कट्टरपंथी तत्वों के दबाव में सरकार ने अंत्येष्टि का मौजूदा नियम बनाया है। देश में अप्रैल 2019 में चर्चों और होटलों पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद से देश में मुस्लिम विरोधी माहौल रहा है। हमले का आरोप एक ऐसे मुस्लिम संगठन पर लगा था। श्रीलंका की आबादी दो करोड़ 10 लाख है, जिसमें दस फीसदी मुसलमान हैं।