ईरान में पिछले साल से हिजाब विरोधी आंदोलन चल रहा है। जो कि यह आंदोलन दुनिया भर में फैल गया है। ईरान के हिजाब विरोधी आंदोलन के चलते कई अबतक कई लोगों की जान जा चुकी है । इसी आंदोलन के दौरान आन्दोलनकरी समेत बड़े पत्रकार को हिरासत में लिया गया है। इस आंदोलन को कई बड़े हस्तियों का भी समर्थन प्राप्त है। इस आंदोलन ने और भी तेजी से रुख तब किया जब गलत तरीके से हिजाब पहनने के चलते गिरफ्तार की गई एक महिला महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। जिसके परिणाम स्वरुप ईरान में दंगे हो रहे हैं। महिलाए हिजाब का विरोध करते हुए हिजाब जला रही हैं। इसी बीच एक मौलवी का ईरान में विवादित बयान सामने आया है।
मौलवी ने प्रशासन से मांग की है कि वो महिलाओं का हिजाब पहना सुनिश्चित करें। उनके अनुसार सरकार हिजाब पहनना सुनिश्चित करें, इससे पहले वे गर्मियों में ‘बिना कपड़ों के’ घूमने लगें। खबरों के अनुसार ऐसी अजीबोंगरीब मांग करने वाले मौलवी का नाम मोहम्मद नबी मूसाविफर्ड है। जिनका यह भी कहना है कि सरकार को हिजाब कानून को लागू करने में पीछे नहीं हटना चाहिए। मौलवी के कहने अनुसार हमें अपने धार्मिक मूल्यों का संरक्षण करना होगा ,इसके लिए चाहे कितनी ही बार अदालत क्यों न जाना पड़े। इसके अलावा मौलवी ने समाज सेवा में लगे लोगों को आगाह करते हुए कहा कि लोगों और समाज सेवा करने वालों को बिना हिजाब वाली महिलाओं के लिए काम नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हर उस महिला को जो गलत तरीके से हिजाब पहनती है उनको चेतावनी दी जानी चाहिए। दरअसल अमीनी का समर्थन करते हुए कई महिलाओं ने अपना हिजाब त्याग कर रूढ़िवादियों का खुल कर विरोध जताया। जिसके बाद से ऐसे कई विवादित बयान महिलाओं के खिलाफ ईरान में दिए गए हैं।
इससे पहले भी एक विवादित बयान हिजाब विरोधी महिलाओं के लिए आया था। एक ईरानी इमाम ने देश में बारिश की कमी के लिए हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को दोषी ठहराया था। जिसकी वजह से ईरान में जल संकट खड़ा हो गया है। ईरान के सुप्रीम लीडर के करीबी मोहम्मद-मेहदी हुसैनी हमदानी ने कहा था कि हिजाब पहनने के नियमों को तोड़कर महिलाओं ने ‘देश भर में बारिश की कमी पैदा कर दी है।’ इमाम ने कहा कि जो लोग हिजाब नहीं पहनते हैं, उन्हें सजा दी जानी चाहिए।