ईरान के संग लगातार बिगड़ रह संबंधों के साथ ही अमेरिका ने अब तुर्की पर अपना निशाना साध लिया है। ट्रम्प प्रशासन ने तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही है। इसके पीछे हथियारों की खरीद मुख्य मुद्दा है। रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने में अड़े तुर्की पर अब अमेरिका ने ‘काटसा’ कानून के तहत कार्यवाही की धमकी दी है।
अमेरिका शुरू से काटसा CAATSA एक्ट के तहत देशो पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाता आया है। अमेरिका और तुर्की की रिश्ते बीते महीनो में खट्टे मीठे रहे है। कभी लगता है की दोनों में रिश्ते पटरी पर आ गए है तो कभी तलवारे खींच जाती है। ताजा घटनाक्रम की बात करे तो हाल ही में 12 जुलाई को रुसी मिसाइल रक्षा प्रणाली की पहली खेप तुर्की में आ गयी है। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया की एस -400 वायु रक्षा प्रणाली ‘उपकरणों का पहला समूह राजधानी अंकारा के पास मर्टेड एयर बेस पर पहुंच गया है’ और आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। रूस से एस -400 मिसाइल प्रणाली खरीदने का सौदा रद्द करने की लिए अमेरिका ने तुर्की को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था। रक्षा अवर सचिव एलन लार्ड ने मीडिया से कहा की अगर तुर्की ने 31 जुलाई तक इस सौदे को रद्द नहीं किया तो अमेरिका में एफ -35 लड़ाकू विमान उड़ा ने का प्रशिक्षण ले रहे पायलटो को निकाल दिया जायेगा और तुर्की की कंपनी को दी गयी एफ -३५ लड़ाकू विमान बनाने की सविंदा भी रद्द कर दी जाएगी इससे पहले भी अमेरिका ने भारत को भी रूस से यह समझौता रद्द करने की रिदायत दी थी। परंतु इस पर द्विपक्षीय वार्ता में साफ कर दिया गया था की रूस के साथ एस -400 समझौता पर देश हित में फैसला लिया जायेगा। हाल ही में अमेरिका द्वारा नाटो के सदस्य तुर्की से इस समझौता से पीछे हटने का आग्रह किया गया। अमेरिका द्वारा यह भी कहा गया की अगर तुर्की खरीद के साथ आगे निकलता है तो उसे काउंटरिंग अमेरिका के सलाहकारों के माध्यम से आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है और तुर्की को उच्च तकनीक वाले एफ -35 लड़ाकू जेट का उत्पादन करने के लिए कार्यक्रम में भी भाग लेने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। तुर्की ने अमेरिकी दवाब के सामने झुकने से इंकार कर दिया गया है, जिसमे जोर देकर कहा गया है की किस रक्षा उपकरण को खरीदना है यह राष्ट्रीय संप्रभुता का विषय है।
क्या है काटसा एक्ट : काटसा का पूरा नाम का ‘Countering USA’S Adersories through Section’ है। इस अमेरिकी कानून के तहत रूस से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमेरिकी प्रतिबंद लगाने का प्रावधान है। अमेरिका ने इस कानून को सबसे पहले ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के खिलाफ लगाया है।