इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (एआईयू ) ने विश्व भर के सबसे महंगे शहरों की सूची जारी की है। जिसमें न्यूयॉर्क पहले स्थान पर आया है। माना जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब न्यूयॉर्क महंगे शहरों की सूची में आया है। न्यूयॉर्क के आलावा सिंगापुर भी इस सूची में पहले स्थान पर है। वहीं पिछले साल जारी की गई रैंकिंग में नंबर एक पर रहा तेलअवीव अब तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक कुल मिलाकर, दुनिया के सबसे बड़े शहरों में रहने की औसत लागत इस साल 8.1% बढ़ी है। इस सूची में शामिल अन्य देशों की बात करें तो स्विट्जरलैंड का ज़्यूरिख शहर छठे, स्विट्जरलैंड की राजधानी जेनेवा सातवें, वहीं अमेरिका का सैन फ्रांसिस्को आठवें, इसके अलावा फ्रांस की राजधानी पेरिस नौवें और दसवें स्थान पर ऑस्ट्रेलिया का शहर सिडनी व डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन शामिल हैं।
जारी की गई रिपोर्ट में रूस यूक्रेन युद्ध और कोविड के प्रभाव को महंगाई वृद्धि के कारकों में माना गया है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आंशिक रूप से पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से रूस की राजधानी मॉस्को और रूस का शहर सेंट पीटर्सबर्ग सूची में 88 और 70 स्थानों से बढ़कर 37वें और 73वें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं इस रिपोर्ट में 173 शहरों में वस्तुओं और सेवाओं के लिए अमेरिकी डॉलर में लागत की तुलना की गई है। 172 शहरों में किए इस सर्वेक्षण के मुताबिक अधिक महंगे शहर की बात करें तो सबसे कम महंगा शहर सीरिया की राजधानी दमिश्क रही है जो कि सूची में 172 नंबर पर है। वहीं भारत का अहमदाबाद शहर 165 वे ,चेन्नई 164वें, और बेंगलुरु 161 वें रैंक पर है।
एआईयू ने अपने सर्वेक्षण में विश्वभर के 172 शहरों के 200 से अधिक उत्पादों और सेवाओं में 400 से अधिक व्यक्तिगत कीमतों की तुलना की है। इस सर्वेक्षण के नेतृत्व करने वाली उपासना दत्त के कहने अनुसार यूक्रेन में युद्ध, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों और चीन की शून्य-कोविड नीतियों ने “आपूर्ति-श्रृंखला की समस्याएं पैदा की है। बढ़ती ब्याज दरों और विनिमय दर में बदलाव के कारण दुनिया भर में लागत का संकट पैदा हो गया है।