चीनी संसद ने गुरुवार को हांगकांग के लिए नए विवादित सुरक्षा कानून को मंजूरी दे दी। संभावना है कि इस साल के सितंबर से यह कानून लागू हो जाएगा। इस नए कानून के मुताबिक, हांगकांग में चीनी सुरक्षा एजेंसियां अपनी सस्थाएं संचालित कर सकती हैं। कानून के बाद हांगकांग के अर्धस्वायत का दर्जा पूरी तरह खत्म हो गया और यह पूर्ण रूप से चीन के नियंत्रण में आ गया।
चीन की संसद में गुरुवार को यह कानून पेश किया गया था पर यहां की जनता के विरोध के चलते कानून पारित नहीं हो सका था। चीन में चले एक सप्ताह के संसद सत्र के आखिरी दिन में कई विधेयकों को पारित किया गया था। इस नए चीनी सुरक्षा कानून के अंतर्गत हांगकांग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध करने जैसी गतिविधियों को रोकने के प्रावधान हैं।
कानून की आलोचना
इस कानून के तहत अब बीजिंग के ऑथोरिटी को यहां नजरअंदाज करना बेहद मुश्किल होगा। इस बार कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी के मद्देनजर यहां की संसद देर से शुरू हुई। इस कानून का प्रस्ताव आने के पश्चात् से ही हांगकांग में विरोध प्रदर्शन जारी था। तमाम पाबंदियों के बावजूद भी यहां लोगों ने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखा और हांगकांग की स्वतंत्रता-एक रास्ता जैसे कई नारे लगाए।
प्रदर्शन को दिया अवैध करार
पुलिस ने लोगों के इस प्रदर्शन को पूरी तरह अवैध करार दिया और आंसू गैस के गोले छोड़ने से पहले ही लोगों को वहां से हटने की चेतावनी भी दी। साथ ही यह आरोप लगाया गया कि कोरोना वायरस के कारण लागू शारीरिक दूरी के नियमों का पालन भी नहीं किया गया था। हांगकांग में पिछले साल लोकतंत्र के समर्थन में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले थे।
इस कानून को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित कई देशों ने चीन की आलोचना भी की। बीते दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस की थी। उन्होंने कहा, “हांगकांग में जो चीन कर रहा है वो ठीक नहीं है, हम जल्द ही इसपर कोई फैसला लेंगे।” वर्ष 1997 में ब्रिटेन ने इस शर्त के साथ चीन को हांगकांग सौंपा था कि वह इस क्षेत्र की स्वायत्ता के साथ ही यहां के नागरिक, कानूनी और आर्थिक व्यवस्थाओं की आजादी को पूरी तरह बरकरार रखेगा।