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अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए चीन की नई घोषणा

चीन की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। चीनी मुद्रा युवान कमजोर पड़ गई है। चीन पर कर्ज का भार इतना हो गया है कि वहां की विकास दर प्रभावित होने लगा है। अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए चीन सरकार द्वारा कई कदम उठाये गए हैं। जिनमें से हाल ही में चीन ने पर्यटन और व्यावसायिक यात्रा को बढ़ावा देने के उदेश्य से नौ देशों के नागरिकों को वीजा मुक्त प्रवेश देने की 22 नवंबर को घोषणा की है। चीन द्वारा किए गए घोषणा के अनुसार 30 नवंबर से रोमानिया ,माल्टा ,बुल्गारिया ,क्रोएशिया , मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया, एस्टोनिया, लातविया और जापान के यात्री तीस दिनों तक चीन ठहर सकेंगे।

 

इससे पहले भी चीन ने पिछले साल कई देशों को वीजा मुक्त किया था और इस बार नौ देशों को किया गया है। कुल मिलाकर वीजा मुक्त देशों की संख्या अब 38 हो जाएगी। गौतरलब है कि सबसे पहले चीन ने तीन देशों को वीजा मुक्त प्रवेश की इजाजत दी थी। लेकिन कोविड महामारी के दौरान इस योजना को खत्म कर दिया गया था। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन का कहना है कि वीजा-मुक्त प्रवेश में पहले चीन में केवल 15 दिन तक रहने की अनुमति दी गई थी, जिसे बढ़ाया जा रहा है। चीन विद्यार्थियों, शिक्षाविदों और अन्य लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रहा है ताकि अन्य देशों के साथ कभी तनावपूर्ण रहे अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश की जा सके।

कर्ज में कैसे डूबता जा रहा है चीन

 

चीन के भारी भरकम कर्ज से विकास दर नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है । वहां के स्थानीय सरकार भारी कर्जों में डूबी हुई हैं। आर्थिक विकास को स्थिर करने के लिए हाल ही में चीन सरकार ने अपने लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को 1.4 ट्रिलियन डॉलर के ऋण पैकेज का ऐलान किया है । चीन ने अगले तीन सालों में स्थानीय सरकारों को विशेष बांड के जरिये 6 ट्रिलियन युआन यानि 836 बिलियन डॉलर जुटाने की मंजूरी देते हुए कर्ज और बढ़ा दिया। इससे उनका विशेष बांड कोटा 35.52 ट्रिलियन युआन तक बढ़ जाता है और उनकी कुल ऋण सीमा 52.79 ट्रिलियन हो जाती है। कर्ज चुकाने के लिए और ज्यादा कर्ज देने से स्थानीय सरकारों का छिपा हुआ कर्ज और बढ़ गया है। अर्थव्यवस्था संभालने के लिए चीन सरकार अरबों डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करती आ रही है। लेकिन इससे कर्ज संकट हल होता नहीं दिख रहा है। चीन की लोकल सरकारों पर वाहन फाइनेंस से जुड़ा करीब 710 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

 

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