हाल ही में जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आवादी 8 अरब हो चुकी है और 2030 तक यह आंकड़ा करीब 8.5 अरब पहुंच जाएगा । जिसमें सबसे बड़ा ‘योगदान’ चीन का है। चीन विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। लेकिन चीन में इन दिनों युवा कामगारों की किल्लत चल रही है। चीन को अपनी फैक्ट्रियों में मजदूर नहीं मिल रहे हैं। वहां मजदूरों की कमी होना इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि दुनिया की कुल जरूरत का एक तिहाई प्रोडक्शन चीन में होता है।
बीस से चालीस वर्ष के चीनी युवा फैक्ट्रियों में काम करने से कतराने लगे हैं। गावों में रहने वाले युवा शहरों में जाकर काम करने के लिए घर नहीं छोड़ना चाहते। फैक्ट्रियों में इन युवा कामगारों की कमी होने से चीन की अर्थव्यवस्था खतरे की ओर जाती दिख रही है। डॉयचे वेले की रिपोर्ट मुताबिक मजदूरी या फैक्ट्रियों में नौकरी के लिए युवाओं को परिवार से दूर रहना मंजूर नहीं । इसके चलते चीन की 80 प्रतिशत कंपनियां युवा कामगारों की कमी से जूझ रही हैं । वहीं सीआईआईसी के सर्वे के मुताबिक भी चीन में जितने कामगारों की जरूरत है उसके 10 से 30 फीसदी तक की कमी है। चीन में 16 से 24 आयु के 18 प्रतिशत नौजवान बेरोजगार हैं। वहां इसी वर्ष एक करोड़ से ज्यादा युवा ग्रेजुएट हुए हैं जिन्हें रोजगार की जरूरत है।
चीन में युवाओं की एक बड़ी आबादी बेरोजगारी से जूझ रही है। अधिकतर युवा अब स्किल्ड हो रहे हैं। वे सरलता से मशीन हैंडल कर उपकरण चला सकते हैं। युवाओं में क्षमता तो है, लेकिन वे फैक्ट्रियों में काम करना नहीं चाहते। वहीं जो मजदूर चीन की फैक्ट्रियों में हैं उनकी उम्र ज्यादा है। चीनी युवा रोजगार की तलाश में फैक्ट्रियों तक पहुंचते तो हैं लेकिन वे जल्द ही उसे छोड़ देते हैं । इसलिए फैक्ट्रियों में मजदूरों की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। फैक्ट्री मालिकों के मुताबिक युवा मजदूर यदि मिलते हैं तो प्रोडक्शन ज्यादा होगा और फैक्ट्रियों के हालात बेहतर करने होंगे।