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चीन ने हांगकांग पर शिकंजा कसने की शुरू की तैयारी, प्रदर्शनकारियों को बताया आतंकवादी

विरोध के बावजूद चीन ने हांगकांग के विवादास्पद कानून को दी मंजूरी

हांगकांग चीन विरोधी प्रदर्शन जारी है। यह प्रदर्शन अब भयंकर रूप लेता जा रहा है। हांगकांग में चीन के प्रस्तावित सुरक्षा कानून की धमक भी अब सुनाई देने लगी है। हांगकांग में तैनात चीन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2019 के आंदोलन में हुई गतिविधियां आतंकी वारदात की प्रकृति की थी। उनमें सम्मिलित सभी लोगों पर आतंकवाद की धाराएं लगनी चाहिए थी। इसी बीच हांगकांग बार एसोसिएशन की ओर से चेतावनी दी गई कि हांगकांग पर कब्जा करने के लिए लाया जा रहा नया सुरक्षा कानून कोर्ट में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा। चीन को पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश पर अपना सुरक्षा कानून थोपने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

चीन का चेहरा बेनकाब

हांगकांग में नियुक्त चीनी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि शी फेंग ने प्रस्तावित सुरक्षा कानून पर कहा है कि आंदोलन के दौरान हुई कुछ घटनाओं से आतंक जैसी स्थितिउत्पन्न हुई थी और सामाजिक-आर्थिक स्थितियां भी प्रभावित भी हुई थीं। इन सब को देखते हुए चीनी सरकार को हांगकांग को सुरक्षा कानून के दायरे में लाने की जरूरत महसूस हुई है। शी फेंग ने विदेशी निवेशकों को आश्वस्त भी किया है कि सुरक्षा कानून के लागू होने से उनके हितों पर किसी प्रकार का कोई भी असर नहीं पड़ेगा। इस कानून से केवल अलगाववाद, सार्वजनिक संपत्ति को भीषण नुकसान पहुंचाने और आतंकवाद फैलाने वाले ही प्रभावित होंगे।

शी फेंग ने यह भी कहा है कि यह कानून हिंसक आतंकी तत्वों से आम नागरिकों और विदेशी निवेशकों की पूरी तरह रक्षा भी करेगा। इसलिए इस नए कानून से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। जबकि विशेषज्ञों का यह कहना है कि वरिष्ठ अधिकारी के इस बयान से चीन सरकार की मंशा एकदम स्पष्ट हो गई है। वह हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को एक आतंकी गतिविधि मानती है और भविष्य में वह आंदोलनकारियों से आतंकवादियों की तरह ही निपटेगी। गौरतलब है कि बीते दिनों चीन का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे और कई लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था।

प्रस्तावित कानून लाना हांगकांग के साथ धोखा

बीते शुक्रवार को चीन की राष्ट्रीय संसद के शुरू हुए सत्र के पहले दिन एक विधेयक प्रस्‍तावित किया गया जिसका मकसद कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों और विरोध की गतिविधियों को रोकने के साथ ही विदेशी हस्तक्षेप पर रोक लगाना है। वहीं दूसरी ओर आलोचकों ने इसे ‘एक देश, दो व्यवस्थाओं’ की रूपरेखा के विरुद्ध बताया है। इस सिद्धांत पर हुए समझौते के बाद से ब्रिटेन ने सन 1997 में 150 साल के शासन के पश्चात् हांगकांग चीन को सौंपा दिया था। हांगकांग के आखिरी गवर्नर क्रिस पैटन ने चीन के इस प्रस्‍तावित कानून को हांगकांग के साथ एक बहुत बड़ा धोखा बताया है।

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