पाकिस्तान को आखिकार कश्मीर मसले पर उसके स्टैंड की तरपफदारी करने वाला एक साथी मिल ही गया। भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से संविधन के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का निणर्य पाकिस्तान में भारी राजनीतिक हलचल का कारण बन चुका है। पाक
प्रधनमंत्राी इमरान खान ने न केवल भारत संग अपने राजनीतिक संबंध् का स्तर कम कर डाला बल्कि समझोता ऐक्सप्रेस टेªन को भी रद्द कर दिया। इतना ही नहीं द्विपक्षी व्यापार पर भी रोक लगा डाली। इमरान खान इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने पाकिस्तान के विदेशी मुल्कों में तैनात राजदूतों के जरिए भारत के खिलापफ अंतरराष्ट्रीय जगत में यु( छेड़ने का प्रयास किया। यहां वे भारी मात खा गए। उनके अमेरिकी दौरे के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने जम्मू कश्मीर में मध्यस्थता की बात कहकर पाकिस्तान के स्टैड़ को एक तरह से अपना सर्मथन दिया लेकिन भारत के कड़े प्रतिरोध् बाद ट्रम्प भी बैकपफुर में आ गए। अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद पाकिस्तान ने इस मामले को सयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने का प्रयास किया लेकिन सपफलता हासिल न कर पाया। अब लेकिन यूएनओ की सुरक्षा परषिद् के स्थाई सदस्य चीन की मदद से उसे ऐसा कर पाने मे थोड़ी सपफलता हासिल हुई है। आज 16 अगस्त की सुबह, सयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् न्ययार्क में इस मुद्दे पर एक बैठक करने जा रही है। चीन के द्वारा इस मुद्दे को सयुंक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान अध्यक्ष देश पौलेण्ड सम्मुख उठाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पन्द्रह देश मीडिया की नजरों से दूर एक बंद कमरे में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हालांकि सयुंक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अंर्तगत इस बैठक में लिए गए निर्णय बाध्यकारी नहीं होते है, बावजूद इसके जम्मू कश्मीर मसले पर इस परिषद् की बैठक बाद का स्टैड इस मुद्दे पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर की नई राजनीतिक खेमेबंदी का कारण बन सकता है।
चीन ने निभाई पाक संग दोस्ती, यूएनओ पहुंचा कश्मीर मुद्दा
