पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने वाले चीन की बौखलाहट आये दिन देखने को मिलती है। जिसमें वह नई चाल चलते रहता है।अब एशियाई देशों पर अपनी हुकूमत चलाने की कोशिश में चालबाज चीन ने एक और चाल चली है। कहते हैं कि चित भी मेरी और पट भी मेरी। कुछ इसी तरह की चाल चीन चल रहा है। इस बार चीन ने भारत को चेतावनी दी कि भारत को वन-चाइना पॉलिसी का मजबूती से पालन करना चाहिए और ताइवान को लेकर समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। चीन ने कहा- भारत ताइवान के साथ ट्रेड टॉक शुरू कर सकता है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर भी निशाना साध कहा कि तिब्बत मामलों के लिए नियुक्त किए गए नए अमेरिकी अधिकारी ने तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांगे से मुलाकात की है। तिब्बत के मामले पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है। किसी बाहरी पक्ष को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
दरअसल भारत और ताइवान के बीच भविष्य में होने वाली व्यापार बातचीत की अटकलों से ही चीन बौखलाया हुआ है। चीन के विदेश मंत्रालय ने औपचारिक बातचीत शुरू होने से पहले ही भारत को धमकी दे दी । मंत्रालय ने ताइवान के साथ भारत की ट्रेड डील पर कहा कि दुनिया में केवल एक ही चीन है और ताइवान चीन का अभिन्न अंग है। वन चाइना थ्योरी को भारत समेत दुनिया के सभी देशों ने माना है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ताइवान द्वीप के साथ किसी भी देश के आधिकारिक आदान-प्रदान का दृढ़ता से विरोध करता है। खासकर ऐसे देश जिनका चीन के साथ राजनयिक संबंध हैं। हम इससे संबंधित मुद्दों पर विवेकपूर्ण और उचित तरीके से विचार करेंगे।
हाल में ही खबर आई थी कि चीन के साथ खराब होते संबंधों के बीच भारत और ताइवान ट्रेड डील पर औपचारिक बातचीत शुरू कर सकते हैं। ताइवान कई वर्षों से भारत के साथ ट्रेड डील पर बातचीत करना चाहता है लेकिन भारत सरकार इससे कतराती रही है। इसकी वजह यह है कि भारत चीन की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से सरकार के भीतर ऐसे तत्व हावी हुए हैं जो ताइवान से साथ ट्रेड डील के पक्ष में हैं।
इसी महीने भारत सरकार ने स्मार्टफोन बनाने के लिए कई कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इनमें ताइवान का फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन ग्रुप और पेगाट्रॉन कॉर्प शामिल है। इस बारे में वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। ताइवान के टॉप ट्रेड वार्ताकार जॉन देंग ने भी ईमेल का जवाब नहीं दिया। अगर भारत के साथ सीधी ट्रेड वार्ता शुरू होती है तो यह ताइवान के लिए बड़ी जीत होगी। चीन से दबाव के कारण उसे किसी भी बड़े देश के साथ ट्रेड डील शुरू करने में संघर्ष करना पड़ा है।
अधिकांश देशों की तरह भारत ने भी ताइवान को देश के रूप में औपचारिक मान्यता नहीं दी है। दोनों देशों के बीच रिप्रजेंटेटिव ऑफिसेज के रूप में अनऑफिशियल डिप्लोमैटिक मिशन हैं। दोनों देशों ने अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 2018 में एक अपडेटेड द्विपक्षीय निवेश करार पर हस्ताक्षर किए थे। 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार 18 फीसदी बढ़कर 7.2 अरब डॉलर पहुंच गया था।
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने सीधे तौर पर लिखा है कि भारत ताइवान कार्ड खेलकर मुसीबत को बुलावा दे रहा है। अगर भारत ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करता है या वन चाइना थ्योरी से इनकार करता है तो हम भी भारतीय अलगाववादियों को समर्थन न करने के वादे से मुकर जाएंगे। भारत ने वन चाइना थ्योरी और ताइवान की स्वतंत्रता को समर्थन नहीं देने प्रतिबद्धता जताई थी। जिसके जवाब में चीन ने भारत के अलगाववादी बलों को समर्थन नहीं देने का परस्पर वादा किया था।
ग्लोबल टाइम्स ने धमकी देते हुए कहा कि ताइवान की अलगाववादी ताकतें और भारत की अलगावादी ताकतें एक ही श्रेणी की हैं। अगर भारत ताइवान कार्ड खेलता है तो यह पता होना चाहिए कि चीन भी भारतीय अलगावादी कार्ड खेल सकता है। चीनी मीडिया ने कहा कि भारतीय सेना ने बयान दिया है कि वह चीन-पाकिस्तान और आंतरिक विद्रोह के खिलाफ टू एंड हॉफ फ्रंट वॉर की तैयारी कर रही है। आंतरिक विद्रोह में अलगाववादी ताकतें और आतंकवादी शामिल होते हैं।
झाओ ने ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के आधार पर कहा कि भारत ताइवान के साथ ट्रेड टॉक शुरू कर सकता है। यह (वन-चाइना सिद्धांत) चीन का अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए, हम चीन और ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच किसी भी ऑफिशियल एक्सचेंज या कोई भी डिप्लोमैटिक रिलेशन या किसी भी समझौते का मजबूती से विरोध करते हैं।
ताइवान के नेशनल डे 10 अक्टूबर को चीन ने भारतीय मीडिया को इसे देश के तौर पर पेश नहीं करने की सलाह दी थी। दिल्ली स्थिति चीन के मिशन ने इसके लिए मीडिया हाउसेस को चिट्ठी लिखकर कहा था- हमारे मीडिया के दोस्त, आपको याद दिलाना चाहेंगे कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है। सिर्फ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की सरकार ही पूरी दुनिया में चीन का प्रतिनिधित्व करती है। ताइवान को देश के तौर पर पेश नहीं किया जाए। इसकी राष्ट्रपति साई इंग-वेन को भी राष्ट्रपति न बताया जाए। इससे आम लोगों में गलत संदेश जाएगा।
वहीं, इस पर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इसका प्रेस वाइब्रेंट और लोग आजादी पसंद हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट चीन इस सब कॉन्टीनेंट पर भी सेंशरशिप थोपना चाहता है।