विश्वभर में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। चीन से शुरू हुए इस वायरस की चपेट में भारत भी आ चुका है। चीन की ओर से दावा किया जा रहा है कि उसने कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है। लेकिन अब एक रिपोर्ट सामने आने के बाद चीन पर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सरकार के कैंप में बंद उइगर मुसलमानों के अंग निकलकर पीड़ितों का इलाज करने का खुलासा हुआ है।
Are Uyghur Muslim Organs Being Illegally Removed to Save China's Coronavirus Patients?@cjwerleman reports on how China is meeting organ transplant demand when the country has a voluntary donor rate of only one for every two million citizenshttps://t.co/cqzHom7q4V
— Byline Times (@BylineTimes) March 10, 2020
मशहूर इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट सीजे वर्लमैन ने डेली स्टार और बाइलाइन टाइम्स में छपी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं जिनमें कोरोना वायरस के मरीजों को बचाने के लिए किसी अंग की आवश्यकता पड़ी है और बड़ी ही सरलता से ऑर्गन उपलब्ध भी कराया गया है। सीजे वर्लमैन का कहना है कि चीन की ओर से कुछ दिन पहले ही पहली बार डबल ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन में 59 साल के एक व्यक्ति की जान बचाने के लिए किया गया था, जो कोरोना वायरस से पीड़ित होने के कारण ऑर्गनफेलियर से परेशान था। चीन में ऑर्गन डिमांड बहुत हाई है लेकिन इसके बावजूद इस व्यक्ति को दोनों ही अंग केवल पांच दिनों में उपलब्ध करा दिए गए। ऐसे में ये सारे शक फिर से पैदा हो गए हैं कि ये अंग आखिर आ कहां से रहे हैं?
खुलासा करने वाले पत्रकार वर्लमैन अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, “दुनिया इस बात को लेकर पहले ही चिंतित है कि करीब 30 लाख उइगुर मुसलमान चीन के डिटेंशन कैंप में रह रहे हैं।” वर्लमैन के आलावा चाइनीज ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट को भी इस बात पर संदेह है कि जब चीन में एक फेफड़े के लिए सालों की वेटिंग लिस्ट है तो फिर कोरोना वायरस के इन मामलों में सिर्फ कुछ ही दिनों में अंगो को कैसे उपलब्ध कराया जा रहा है? वो भी बिलकुल सही परफेक्ट मैच के साथ। चिंता जाहिर करते हुए वह आगे कहते है कि चीन उन देशों में गिना जाता है जहां ऑर्गन डोनेशन रेट काफी कम है। हालांकि, कोरोना के मामले में अभी तक ऐसी ख़बरें सामने आई हैं जिसमें 10000 लोगों को आसानी से ओर्गेन मिल गया है।

पिछले महीने 29 फरवरी को एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट भी सामने आई थी जिसमें चीन में चल रहे अंगों के काले सच का खुलासा किया गया था। इस रिपोर्ट में भी ये दावा किया गया है कि कैंप में बंद उइगुर मुस्लिमों के हार्ट, किडनी, लीवर, फेफड़े, आंखें और स्किन भी निकालकर ब्लैक मार्केट में बेचे जा रहे हैं। इसी मामले पर बीते दिनों उइगुर शिक्षाविद, व्हिसिल ब्लोअर अब्दुवेली अयूप ने दावा किया था कि डिटेंशन सेंटर में अमानवीय अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। कोरोना के चलते अब डिटेंशन सेंटर्स में बड़ी संख्या में ऑपरेशन किए जा रहे हैं और जबरदस्ती ओर्गेन निकाले जा रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले भी सितंबर 2019 में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थी जिनमें डिटेंशन सेंटर्स में मुस्लिमों के साथ मनमानी की ख़बरें सामने आई थीं। यह पहली बार नहीं है जब चीन पर ऐसे आरोप लगे हैं। चीन पर कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इलज़ाम लगाया है कि सरकार मुस्लिमों का इस्तेमाल नई दवाओं और अन्य मेडिकल टेस्ट के लिए भी कर रही है। हालांकि, चीनी सरकार इन डिटेंशन कैंप को आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई का नाम देती आई है।

