चीन ने वॉल स्ट्रीट जनरल के उस दावे को पूरी तरह झूठ करार दे दिया है जिसमें कहा गया था कि कोरोना संक्रमण फैलने से पहले वुहान लैब के तीन शोधकर्ता बीमार पड़े थे। इन तीनों शोधकर्ताओं में कोरोना के लक्षण पाए गए थे। कोरोना महामारी को लेकर चीन को कई देश निशाना बना चुके है। वॉल स्ट्रीट जनरल ने यह खबर अमेरिका खुफिया के हवाले से छापी थी।
कोरोना वायरस की शुरुआत कहा से हुई, एक बार फिर यह मामला तूल पकड़ने लगा है। हाल ही में व्हाइट हाउस ने डब्ल्यूएचओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ को अपनी जांच की पारदर्शिता को आगे रखना चाहिए।
व्हाइट हाउस के सीनियर एडवाइजर फॉर कोविड रिस्पॉन्स एंडी स्लाविट ने कहा “हमें मामले की तह तक पहुंचने के लिए WHO की मदद की जरूरत होगी। फिलहाल अब तक हमें यह नहीं मिली है। हमें इसकी सच्चाई सबके सामने लाने की जरूरत है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।” हमें मामले की तह तक पहुंचने के लिए डब्ल्यूएचओ की मदद की जरूरत होगी।
फिलहाल अब तक हमें यह नहीं मिली है। हमें इसकी सच्चाई सबके सामने लाने की जरूरत है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। अमेरिका ने चीन पर सख्त रुख अपनाते हुए जांच के लिए चीन के विरोधी देश ताइवान को आब्जर्वर बनाने की मांग कर दी है। चीन पर एक बार फिर कोरोना वायरस की जांच को लेकर दवाब बढ़ रहा है।
अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथेनी फाउसी ने कहा कि हमें जांच जारी रखनी चाहिए। अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की जांच को एक फेज आगे ले जाना होगा।
चीन ने वॉल स्ट्रीट के दावे को झूठा करार दिया
चीन ने वॉल स्ट्रीट जनरल की खबरों को झूठा करार दिया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने कहा, इसी साल डब्ल्यूएचओ की टीम ने वुहान लैब का दौरा किया। उन्होंने पूरी जांच की, उन्हें इस तरह के कोई सबूत नहीं मिले। उन्होंने आगे कहा कि हम साफ कर देना चाहते है कि इस तरह की रिपोर्ट झूठी है। डब्ल्यूएचओ ने भी कहा था कि लैब से वायरस लीक होने की संभावना निराधार है। वुहान लैब का कोई रिसर्चर्स कभी बीमार नहीं पड़ा।
क्या दावा किया था वॉल स्ट्रीट जनरल ने
अमेरिकी के मशहूर अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने दावा किया था कि कोरोना संक्रमण फैलने से एक महीने पहले चीन की वुहान लैब से तीन रिसर्चर्स बीमार पड़े थे। इन रिसर्चर्स में कोरोना के लक्षण पाए गए थे। अखबार ने जिस रिपोर्ट को पब्लिश किया है उसमें तीन शोधकर्ताओं, बीमार होने का समय और किस अस्पताल में उन्हें रखा गया इससे जुड़ी विस्तृत जानकारियां रिपोर्ट में शामिल है।
रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक से एक दिन पहले आई थी। इस बैठक में डब्ल्यूएचओ कोरोना के उद्दम के अगले चरण की जांच पर चर्चा कर रहा है।
इससे पहले आस्ट्रेलिया मीडिया ने भी चीन से वायरस लीक होन की खबर पब्लिश की थी। आस्ट्रेलिया मीडिया ने कहा था कि कोरोना वायरस 2020 में अचानक नहीं आया, बल्कि चीन इसे 2015 से तैयार कर रहा था। चीनी सेना 6 साल पहले कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी। द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है।
रिपोर्ट पर अमेरिका का जवाब
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट पर अमेरिकी प्रशासन ने कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि बाइडन प्रशासन कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर गंभीर है। हालांकि वायरस की उत्पति की जांच को लेकर डब्ल्यूएचओ की टीम वुहान जाकर जांच कर चुकी है। जांच के बाद डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में कहा था कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि वायरस वुहान लैब से ही पूरी दुनिया में फैला।
चीन ने अमेरिका पर दागे सवाल
बीबीसी की खबर के अनुसार चाओ लिजियान ने इस पूरे मामले को लेकर अमेरिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, मैं यह भी बताना चाहूँगा कि ऐसी बहुत सारी रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि साल 2019 के दूसरे हिस्से में दुनिया भर में वायरस और कोविड-19 महामारी के मौजूद होने की बात कही गई है।”
साथ ही फ़ोर्ट डेट्रिक में मौजूद बायोलॉजिकल लैब और दुनिया भर में 200 से ज़्यादा बायो-लैब बनाने के पीछे अमेरिका के असल मक़सद को लेकर भी को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता है।