पूरा विश्व भले ही कोरोना महामारी से निपटने में लगा हो पर चीन अपनी ‘डर्टी ट्रिक्स’ से बाज नहीं आ रहा। ड्रैगन साउथ चाइना सी में अपना ‘जबरन कब्जा’ तेज कर चुका है। पिछले रविवार को ही चीन ने साउथ चाइना सी की 80 जगहों का नाम बदल दिया है। इनमें से 25 तो आइलैंड्स और रीफ्स हैं तो वहीं बाकी 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्ट्रक्चर हैं। चीन जो समुन्द्र 9 डैश लाइन से कवर्ड हिस्से है उन पर अपना कब्जा करना चाहता है। लाइन इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक, इसे गैरकानूनी माना जाता है। चीन के इस कदम से उसके छोटे पड़ोसी देशों के साथ ही भारत और अमेरिका की भी टेंशन बढ़ रही है।
वियतनाम ने साउथ चाइना सी पर अधिकार जताने से नाराज होकर कुछ दिन पूर्व ही संयुक्त राष्ट्र में चीन के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। उसके तीन दिन बाद ही चीनी जहाजों ने एक वियतनामी जहाज को टक्कर मार-मार कर डुबो दिया था। उसकी इस बेहूदी हरकत का फिलीपींस से लेकर अमेरिका तक विरोध हुआ। मनीला ने भी बीजिंग के विरुद्ध जाते हुए बयान जारी कर कहा था, “ऐसे ही अपने एक अनुभव से हमें पता चला कि दोस्ती में भरोसा कितना कम हो गया है और हमारे मछुआरों की जिंदगी को बचाकर वियतनाम ने जो किया, उससे कितना भरोसा पैदा हुआ।”
जापानी सीमा में भी भेजे जहाज
इन सभी गतिविधियों पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि चीन इस महामारी से सबका ध्यान भंग करने के लिए साउथ चाइना सी में ऐसी हरकतें कर रहा है। पिछले ही हफ्ते जापान के विदेश मंत्री तक ने भी चीन का विरोध किया था। वहीं चीन ने ईस्ट चाइना सी में स्थित सेनकाकू आइलैंड्स के पास जापान की समुद्री सीमा में जहाज भेज दिए थे। तभी इसके जवाब में अमेरिका का जंगी जहाज ताइवान के जलडमरूमध्य से होकर गुजरा। चीन को काबू में रखने के लिए अमेरिका ने एक महीने के भीतर ऐसा दूसरी बार किया।
साउथ चाइना सी पर चीन की पकड़ मजबूत
चीन ने एक बार ताइवान को डराने के लिए समुद्र में एयरक्राफ्ट कैरियर उतार दिया था। तो वहीं चीनी जहाज मलेशिया के ऑयल शिप्स को भी धमका रहे थे। इसकी काट निकालने के लिए पिछले ही हफ्ते, मलेशिया के निकट विवादित समुद्री इलाके से अमेरिका ने जंगी जहाज पार करवाए थे। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के अभिजीत सिंह के मुताबिक “दिल्ली को यह बात भी समझ लेनी चाहिए कि एक बार साउथ चाइना सी पर चीन की पकड़ मजबूत हुई तो वह आइलैंड की आउटपोस्ट्स को भी पूर्वी हिंद महासागर में मिलिट्री पावर बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करेगा।” चीन का अपने से कमजोर और छोटे पड़ोसी देशों पर रवैया हमेशा से आक्रामक रहा है। चीन के इस कदम से अब चाइना साउथ एरिया में तनाव बढ़ना तय माना जा रहा है।