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चीन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है अपने ही सैनिकों का आक्रोश

By Dataram Chamoli

#चीन की सत्ता ने अपने देश की समस्याओं से ध्यान हटाने के मकसद से #गलवान घाटी में टकराव की जो चाल चली है वह उसी के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। इतनी खतरनाक कि उसे बहुत बडे़ विद्रोह का भी सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, चीन में सैनिकों और पूर्व सैनिकों के बीच इस बात को को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है कि चीन की सत्तारुढ़ सरकार गलवान घाटी की सैन्य झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की वास्तविक संख्या छिपा रही है।

उन्हें लगता है कि इस झड़प में भारत से कहीं ज्यादा चीनी सैनिकों की मौतें हुई हैं, लेकिन चीनी सरकार अपनी किरकिरी से बचने के लिए वास्तविक आंकड़े छिपा रही है। अपनी सरकार के प्रति चीनी सैनिकों के अविश्वास की वजह यह है कि भारत ने तत्काल बता दिया था कि उसके 20 जवान शहीद हुए हैं, जबकि चीन अभी तक नहीं बता सका कि उसके कुल कितने जवान झड़प में मारे गए हैं। जाहिर है कि मृत चीनी सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए चीनी सरकार अपनी जनता को यह बताने का साहस नहीं जुटा पा रही है कि जिस झड़प की शुरूआत उसने की, वह उसी के लिए नुकसानदायक साबित हुई। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कई पूर्व और मौजूदा सैनिकों में अपनी सरकार के इस रवैये से आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।

यहां तक आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि सैनिकों का यह आक्रोश उन्हें अपनी ही सरकार के विरूद्ध बगावत के लिए मजबूर कर सकता है। द सिटिजन पॉवर इनिशिएटिव फॉर चाइना नामक संगठन के संस्थापक व अध्यक्ष जियानली यांग ने #वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने एक लेख में सैनिकों के आक्रोश का खुलासा करते हुए इसे सत्ता के लिए बड़ा खतरा बताया है। यांग के मुताबिक चीन सरकार को इस बात का डर है कि यदि उसने यह स्वीकार कर लिया कि भारत के मुकाबले उसके मारे गए सैनिकों की संख्या ज्यादा है तो देश में भावनात्मक उबाल के कारण अशांति की लपटें उठेंगी और इससे सत्ता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। बहरहाल सैनिकों में आक्रोश धधकने लगा है।

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