अपनी विस्तारवादी नीति से पड़ोसी मुल्कों पर खंजर घोंपने के लिए कुख्यात चीन ने हाल ही में बने अपने नए ‘दोस्त’ नेपाल को भी नहीं छोड़ा। दोस्ती का नाटक करते हुए पहले तो चीन नेपाल के करीब आया और अब उसकी घरेलू राजनीति में खुलेआम हस्तक्षेप कर रहा है। यही वजह है कि सुलह की कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के बीच लगातार हुई बैठकें बेनतीजा ही रही हैं। इससे पड़ोसी देश नेपाल एक बार फिर बड़े राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। इस बीच एक बार फिर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने सत्तारूढ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिशों के तहत पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलने से पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की है।
नेपाल में आश्चर्यजनक तरीके से प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद का निचला सदन) भंग किए जाने और इस कारण राजनीतिक संकट पैदा होने के एक हफ्ते बाद चीनी प्रतिनिधिमंडल नेपाल की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए काठमांडू पहुंचा।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप मंत्री गुओ येझु ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति भंडारी से मुलाकात की। इस मुलाक़ात से समझा जाता है कि गुओ एनसीपी को टूटने से बचाने की कोशिश करने के लिए यहां आए हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिाकरी ने बताया कि उन्होंने दोनों देशों के सदियों पुराने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीपी के सभी वरिष्ठ नेताओं को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले गुओ का आज 28 दिसंबर को प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली से मिलने का कार्यक्रम है। सूत्रों ने बताया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री एवं एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, जिन्होंने पार्टी के प्रचंड नीत गुट में ओली की जगह ली है, और जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बाबूराम भट्टाराई से भी मिलेंगे। हालांकि, यहां स्थित चीनी दूतावास और विदेश मंत्रालय गुओ की यात्रा के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं ।
माय रिपब्लिका समाचार पत्र की खबर में कहा गया है, ‘गुओ की यात्रा का उद्देश्य प्रतिनिधि सभा भंग किए जाने और पार्टी में पहले से गहराई अंदरूनी कलह के बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन होने के बाद उभरी देश की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेना है।
क्यों खुश नहीं चीन
सूत्रों के मुताबिक चीन, नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन होने से खुश नहीं है। काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक एनसीपी के सभी नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर जानने वाले गुओ नेपाल में चार दिनों तक ठहरने के दौरान सत्तारूढ दल के दोनों गुटों के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश करेंगे। इनमें एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व प्रचंड कर रहे हैं।
खबर में कहा गया है कि इससे पहले गुओ ने फरवरी 2018 में काठमांडू की यात्रा की थी, जब ओली नीत सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड नीत एनसीपी (माओइस्ट सेंटर) का विलय होने वाला था और 2017 के आम चुनाव में उनके गठबंधन को मिली जीत के बाद एक एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी का गठन होने वाला था। मई 2018 में दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का आपस में विलय हो गया और उन्होंने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया।
खबर में कहा गया है कि सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने बताया कि गुओ एनसीपी के अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे और दोनों गुटों को पार्टी की एकजुटता के लिए साझा आधार तलाशने की कोशिश करेंगे। वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग सहित चीनी नेतृत्व का संदेश भी नेपाली नेतृत्व को देंगे।
पोस्ट ने सत्तारूढ़ दल के नेता के हवाले से कहा, ‘इसके अलावा, चीनी पक्ष ने अपनी यात्रा के बारे में हमसे कुछ नहीं कहा है। स्थायी समिति के एक सदस्य ने कहा कि चीन ने गुओ को ऐसे वक्त भेजा है जब एनसीपी संकट में है।
उल्लेखनीय है कि नेपाल में पिछले हफ्ते उस समय राजनीतिक संकट शुरू हो गया जब चीन के प्रति झुकाव रखने वाले ओली ने अचानक से एक कदम उठाते हुए 275 सदस्यीय सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी। यह घटनाक्रम उनकी प्रचंड के साथ सत्ता की रस्साकशी के बीच हुआ ।
प्रधानमंत्री की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने उसी दिन प्रतिनिधि सभा भंग कर दी और अगले साल अप्रैल एवं मई में नए चुनाव कराए जाने की घोषणा कर दी। इस पर एनसीपी के प्रचंड नीत गुट ने विरोध किया। प्रचंड एनसीपी के सह अध्यक्ष भी हैं।
काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक इस बीच, भंडारी ने संसद के उच्च सदन नेशनल असेंबली का शीतकालीन सत्र एक जनवरी से बुलाने की घोषणा की है।
राष्ट्रपति कार्यालय के सहायक प्रवक्ता केशव प्रसाद घिमिरे ने रविवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने एक जनवरी शाम चार बजे नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया है।
ओली नीत मंत्रिमंडल ने उच्च सदन का शीतकालीन सत्र बुलाने की सिफारिश की थी।
यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया है। मई और जुलाई में होऊ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रचंड सहित एनसीपी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की थी। उस वक्त ओली पर इस्तीफे के लिए दबाव बढ़ रहा था।
नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने चीनी राजदूत की सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ सिलसिलेवार बैठकों को नेपाल के अंदरूनी राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप बताया था।
चीन के ‘ट्रांस- हिमालयन मल्टी डाइमेंशनल कनेक्टीविटी नेटवर्क’ सहित ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत अरबों डॉलर का निवेश किए जाने के साथ हाल के वर्षों में नेपाल में चीन का राजनीतिक दखल बढ़ा है। चीनी राजदूत ने निवेश के अलावा ओली के लिए समर्थन जुटाने की भी कोशिशें की हैं।