चीन के साथ बढ़ रहे तनाव और भारी संख्या में दोनों देशो की सीमा अंतराष्ट्रीय सीमा पर जमावड़ा इन दिनों सुर्खियों में है। हालांकि दोनों देशों कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के बीच एक दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन पूरे विश्व में इस समय चीन की नियत पर सवाल खड़े हो रहे है।
चीन पिछले कुछ अरसे से उत्तर पूर्वी भारत के सीमावर्ती इलाके में भारत द्वारा बने स्तर पर कराये जा रहे निर्माण कार्यो के चलते नाराज है। गौरतलब है की चीन भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों विषेशकर अरुणाचल प्रदेश पर अपनी दावेदारी करता आया है। ऐसे समय में भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन से सटे इलाके में एक पुल का काम लाॅकडाउन के दिनों में कर चीन को बौखला दिया है। इस पुल के जरिए चीन की लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल पर तैनात लगभग 3,000 भारतीय सैनिकों को तत्काल आपूर्ति मिल सकेगी। इतना ही नहीं, यहां पर दो विवादित एरिया के लगभग 451 गांवों को भी आसानी से आपूर्ति हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि बार्डर रोड्स आॅर्गनाइजेशन ने 17 मार्च से 14 अप्रैल तक लगातार काम कर सुबनसिरी नदी पर यह पुल तैयार किया है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 20 अप्रैल को इस पुल का उदघाटन किया। बार्डर रोड्स आॅर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने अरुणाचल प्रदेश की सुबनसिरी नदी पर महज 27 दिन में डेपोरिजो पुल बनाकर तैयार किया है। यह पुल भारत-चीन सीमा पर लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल (एल एसी) तक 40 टन वजनी वाहनों को पहुंचाने में अच्छा खासा मददगार होगा।
यहां पर लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल के दो विवाविद एरिया आसफिला और माजा हैं। बीआरओ को पुल बनाने के लिए दो महीने का समय दिया गया था लेकिन उन्होंने इसे एक महीने के अंदर खत्म कर लिया। एक अधिकारी ने बताया कि उन लोगों ने पुल बनाने के लिए 24 घंटे और सातों दिन काम किया। हम लोगों ने काम जारी रखने के दौरान कोरोना वायरस से बचने के लिए सभी प्रिकॉशन अपनाए। यहां पर दो मुख्य पुल ही थे। श्डेपोरिजोश् के अलावा एक और पुल है तामीन, लेकिन इसका मार्ग बहुत कठिन है। यह पहाड़ों से होकर गुजरता है। इसके अलावा इस पुल की क्षमता मात्र 3 टन की है। अधिकारियों ने बताया कि कई ऐसे लोग हैं जो नहीं चाहते थे कि सुबनसीरि जिले का विकास हो।
‘डेपोरिजो’ पुल भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की दिशा में एक रणनीतिक कड़ी है। सभी आपूर्तियां, राशन, निर्माण संबंधी सामग्री और दवाएं इसी पुल से गुजरती हैं। पुल के निर्माण का कार्य 23 बीआरटीएफ ने किया। नया पुल बनने के बाद लगातार इसका परीक्षण किया जा रहा था। पुराने पुल पर कई साल पहले एक दुर्घटना भी हो चुकी है। 26 जुलाई 1992 को इससे एक बस नदी में गिर गई थी। उस दुर्घटना में कोई यात्री जीवित नहीं बचा था। इसलिए यह पुल लाॅकडाउन में तेजी से खड़ा किया गया ताकि इसमें कोई बाधा न आ सके।