भारत-चीन के बीच सीमा पर विवाद बरकरार है। हालांकि दोनों देशों के सेना प्रमुखों के बीच कई बार सीमा-विवाद को लेकर बातचीत हो चुकी है। इसी बातचीत के नतीजन सीमा पर चीनी सैनिक भारतीय सीमा से पीछे हट गए है। पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में जहां भारत ने अपने 20 सैनिकों को खोया, तो वहीं दूसरी तरफ चीन के भी काफी सैनिक मारें गए थे। लेकिन चीन अपने सैनिकों की शहादत को नजरअंदाज करता रहा है। हाल ही में चीन ने भी माना है कि गलवान में हुई हिंसक झड़प में उनके चार सैनिक मारें गए थे। लेकिन अब इन आकड़ो को लेकर भी चीन झूठ बोल रहा है। क्योंकि चीन ने उन तीन पत्रकारों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने मारे गए सैनिकों के आकड़ों को लेकर सवाल उठाए थे।
पहले कई मीडिया रिपोर्टस में बताया गया था कि इस हिंसक झड़प में चीन ने अपने 40 सैनिक गवाए थे, लेकिन चीन 40 की बजाय 4 बता रहा है। इसको लेकर तीन पत्रकारों ने चीनी सरकार पर संदेह जाहिर किया है। इन तीनों पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है। तीनों पत्रकारों पर सैनिकों की शहादत का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। किउ जिमिंग नाम का पत्रकार भी इसमें शामिल है। किउ इकोनॉमिक आब्जर्वर के साथ काम कर चुके है। उन्होंने जैसे ही सैनिक की मौत के आकड़ो पर सवाल उठाए, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया था कि इस हिंसक झड़प ने चीन ने अपने कम-से-कम 35 सैनिकों की मौत हुई।
किउ ने चीनी सरकार द्दारा जारी आकड़ों को लेकर सवाल उठाए थे, साथ ही उन्होंने देर से आकड़े जारी करने को लेकर सोशल मीडिया पर संदेह व्यक्त किया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि भारत के नजरिए से देखा जाए तो वे जीत गए और कीमत भी कम चुकाई। उनकी इस प्रतिक्रिया के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। किउ के साथ जिन दो और पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया,वे ब्लॉगर थे। एक ब्लॉगर को बीजिंग से गिरफ्तार किया और एक अन्य पत्रकार यांग को दक्षिणी-पश्चिमी सूबे सिचुआन से गिरफ्तार किया गया।
जहां एक तरफ चीन अपने सैनिकों की शहादत के आकड़ो को गलत बता रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत ने इस झड़प में अपने 20 सैनिकों को खो दिया था। फिलहाल सीमा पर दोनों पक्षों की तरफ से शांति बहाल करने की बात कहीं गई है।