चीन की कायराना हरकतें दुनिया की नजरोंं से छिपी नहीं हैं । चीन की गतिविधियों से भारत समेत कई देश परेशान हैं। चीन में उइगर मुसलमानों के साथ अन्याय की खबरें अक्सर आती रही हैं। इसी क्रम में अब चीन महीनों से मुस्लिम जातीय समूहों की महिलाओं को बंदी बना रहा है। मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप और स्कूल के जीमेल अकाउंट को एक्सेस करने जैसे साइबर अपराधों में महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। चीन मुस्लिम जातीय समूहों की महिलाओं को महीनों से हिरासत में रखता रहा है। एक नई किताब, “इन द कैंप्स: चाइनाज हाई-टेक पेनल कॉलोनी” में दावा किया गया है कि चीनी अधिकारी ऐसे नियमों का उल्लंघन करने वालों को पूर्व-अपराधी के रूप में दोषी ठहरा रहे हैं।
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बिजनेस इनसाइडर के अनुसार, पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि वाशिंगटन विश्वविद्यालय की एक छात्रा वेरा ज़ौला को हाल ही में चीन के शिनजियांग में अपना स्कूली जीमेल खाता खोलने और होमवर्क जमा करने के लिए एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का उपयोग करने के कारण गिरफ्तार किया गया था। झोउ को तब बताया गया कि उसे ‘री-एजुकेशन’ क्लास के लिए भेजा जा रहा है। यह भी सामने आया है कि उसे तोते के रंग की वर्दी पहनने को दी गई थी। झोउ ने कैद में ही थैंक्सगिविंग, क्रिसमस और नया साल बिताया। छह महीने शिविर में बिताने के बाद ज़ौला को कुछ शर्तों के तहत रिहा कर दिया गया।
गौरतलब है कि चीन में 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम समूहों को शिविरों में रखा गया है। कुछ कार्यकर्ताओं ने लोगों पर इन शिविरों में काम करने के लिए मजबूर करने का आरोप भी लगाया है। कल 12 अक्टूबर को जारी एक किताब के अनुसार, झोउ और 11 अन्य मुस्लिम महिलाओं को पुलिस ने चीन के इंटरनेट सुरक्षा अधिनियम के तहत पूर्व अपराधियों के रूप में नामित किया है।