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गर्भपात को लेकर चिली ने उठाया ऐतिहासिक कदम

अर्जेंटीना, आयरलैंड समेत अनेक देशों में गर्भपात कराना प्रतिबंधित है। कैरेबियन देशों, अफ्रीका , पश्चिमी एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया में भी महिलाओं के लिए गर्भपात  कराना टेढ़ी खीर है। लेकिन इस बीच चिली ने महिलाओं के अधिकारों को सशक्त बनाते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। चिली की चैम्बर ऑफ़ डेपूटीज़ ने एक नए कानून को पास करने के लिए दमदार कदम उठाया है। इसके तहत अब महिलाएं, लड़कियां गर्भ के 14 हफ़्तों तक यह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं कि वह गर्भपात करवाना चाहतीं हैं या नहीं।

उम्मीद है यह कानून जल्द ही लागू किया जायगा। इसके लिए शर्तें भी लागू की गई हैं। इनमें सबसे पहली शर्त महिला की रज़ामंदी होने पर ही  उसे गर्भ के 14 सप्ताह के भीतर गर्भपात कराने का अधिकार  हैं।  इसके अतिरिक्त यदि अन्य कारण की वजह से गर्भपात करवाया जाएगा तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। चिली का यह पहला कदम है जो वहां की संसद द्वारा महिलाओ के हित में  उठाया गया है। जो  महिलाओ के लिए ज़रूरी था। चिली सरकार के विरोध के बावजूद चिली के चैम्बर ऑफ़ डेपूटीज ने  प्रस्ताव पारित किया है लेकिन कानून बनने से पहले इस प्रस्ताव को काफी लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।

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चिली के द्वारा लिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय से  ‘ग्लोबल वीमेन्स राइट्स मूवमेंट’ को बढ़ावा मिला है।चैम्बर ऑफ़ डेपूटीज़ के इस प्रस्ताव के बाददेश की महिलाएं खासी उत्साहित हैं। एक सांसद ने इस कानून पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ” हम खुश और उत्साहित हैं हमने महिलाओं के हित में अहम कदम उठाया है जिसकी हमें उम्मीद भी नहीं थी। यह निर्णय महिलाओं के लिए  बेहद महत्वपूर्ण है ’ यह पहला कदम है लेकिन हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि गर्भपात को कानूनी तौर पर लागू नहीं कर दिया जाता।”

दरअसल , वर्ष 2017 में चिली ने गर्भपात पर प्रतिबंध तो हटा दिया था लेकिन केवल उन मामलों में जिसमें महिलाओं की जान को खतरा हो या वे बलात्कार के कारण प्रेग्नेंट हुई हों। चिली की महिला मामलों की मंत्री मोनिका जालाक्केट  का कहना हैं कि सरकार हमेशा से लोगों की जान की रक्षा करती आई है लेकिन चिली की कोई भी महिला गर्भपात करने के लिए सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध से रिहा होने तक का इंतज़ार नहीं कर रही है। यह महिलाओं का निजी फैसला होना चाहिए।

इस पर कानून बनाने के लिए महिलाओं और लिंग समानता आयोग की राय लेनी चाहिये और फिर से चैम्बर ऑफ़ डेप्युटी में मतदान करना चाहिए।  एल सल्वाडोर, द डोमिनिकन रिपब्लिक, हइती, होंडुरास, निकारागुआ और सूरीनाम ये वे देश हैं जहां पर गर्भपात पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कोलंबिया, कोस्टा रिका,गौतमाला और पनामा में गर्भपात की अनुमति है ,लेकिन  जब महिला की जान खतरे में हो तो ही गर्भपात कानूनी माना जाएगा ।

अर्जेंटीना ने यह कानून को काफी संघर्ष के कारण सम्भवतः इसलिए भी पारित किया क्योंकि पिछले कई वर्षों से ऐसी महिलाएं भी जान गंवा बैठी जिन्हें सही समय पर अबॉर्शन कर बचाया जा सकता था। अर्जेंटीना की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 में लगभग 40 हजार ऐसी महिलाओं की मृत्यु हुई जिन्हें अबॉर्शन कर सही समय पर बचाया जा सकता था। सेंटर ऑफ रिप्रोडक्टिव राइट्स के अनुसार, ‘इससे पहले लैटिन अमेरिका और कैरीबियन क्षेत्रों में सिर्फ क्यूबा,रुगवे,फ्रेंच गुईना और गुयाना में ही इस तरह के इलेक्टिव अबॉर्शन की कानूनी स्वीकृति है।’ मैक्सिको सिटी में भी अबॉर्शन को लेकर कई प्रावधान हैं पर गंभीर स्थिति में ही महिलाएं वहां गर्भपात कराने का निर्णय ले सकती हैं।

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