दुनिया भर में अधिकतर लोग बढ़ते मोटापे के चलते कई बीमारियों से परेशान हैं । आने वाले सालों दौरान लोगों में ये समस्या और भी बढ़ सकती है। जिसका दावा वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक हालात ऐसे ही रहे तो वर्ष 2035 तक दुनिया भर में चार अरब से ज्यादा लोग मोटापे से जूझेंगे। आने वाले 12 वर्षों में विश्व की 51 फीसदी आबादी मोटापे का शिकार होगी। गौरतलब है कि मौजूदा समय में बच्चों में भी यह समस्या पाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार मोटापे के चपेट में आने वाले लोगों में बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। व्यक्ति का मोटापा बढ़ने की वजह से कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां जन्म लेती हैं। फेडरेशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटापे की वजह से 2035 तक दुनिया को 4000 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। जो कि विश्व जीडीपी की तीन फीसदी रकम का हिस्सा है। मोटापे के लिए वह लोगों को जिम्मेदार ठहराने के बजाए, सामाजिक, पर्यावरणीय और बायोलॉजिकल फैक्टरों पर ध्यान देने का आग्रह कर रहे हैं।
गौरतलब है कि जारी की गई रिपोर्ट बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को आधार बनाया गया है। बॉडी मास इंडेक्स के अंतर्गत किसी व्यक्ति की लंबाई और उसके वजन का अनुपात निकाला जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस में बीएमआई के 25 से ज्यादा स्कोर को ओवरवेट और 30 से ज्यादा स्कोर को मोटापे की श्रेणी में रखा गया है। 2020 में दुनिया की 38 फीसदी आबादी ओवरवेट और मोटापे में थी। अगले 12 सालों में एशिया और अफ्रीका के कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में मोटापा सबसे ज्यादा बढ़ेगा। फेडरेशन के मुताबिक वह अपना यह डाटा मार्च के दूसरे हफ्ते में यूनएन पॉलिसीमेकर्स और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के साथ साझा करेगी।
लोगों में मोटापे की समस्या अत्यधिक कैलोरी का सेवन करने से होता है। लोग ज्यादातर मीठे पेय पदार्थ का सेवन करते हैं जो कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है। डॉक्टरों के मुताबिक फास्ट फूड से भी वजन काफी बढ़ सकता है। मोटापे की यह समस्या लोगों द्वारा स्थिर जीवन शैली का नेतृत्व करने से भी हो रही है। डिशवॉशर, वाशिंग मशीन, रिमोट कंट्रोल, वीडियो गेम, कंप्यूटर और टीवी के आने के साथ ही लोग कम सक्रिय हो गए हैं। मानसिक कार्यों ने शारीरिक कार्यों के मुकाबले ज्यादा प्रगति की है। जिससे लोगों की शारीरिक गतिविधियां ज्यादा नहीं हो पाती। शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहना लोगों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को स्थिर रखता है जो कि मधुमेह की बीमारी से बचाता है। इसके अलावा लोगों का अपर्याप्त नींद लेना भी मोटापे की वजह मानी जा रही है। अध्ययनों के मुताबिक बच्चे और व्यस्क दोनों ही मोटापे के जोखिम का सामना करना पड़ता है।
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