करीब चार महीनों से जारी सूडान की सेना और अर्धसैनिक बल के बीच छिड़े गृह युद्ध के कारण आम जनता की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। आलम यह है कि इसकी आग में भूख के चलते सैकड़ों बच्चों का बचपन खत्म हो गया है। इसमें सरकार द्वारा संचालित अनाथालय के दो दर्जन बच्चे भी शामिल हैं
सूडान में कई महीनों से प्रतिद्वंद्वी जनरलों के प्रति वफादार बलों के बीच लगातार लड़ाई जारी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सूडान में शुरू हुई हिंसा के बाद से अभी तक कम से कम 270 लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा के कारण अपने घरों में कई दिन से कैद सूडान के लोगों को राहत का कोई संकेत नहीं मिलने के कारण हताशा में अब अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ रहा है। सेनाओं के बीच छिड़े गृह युद्ध के कारण आम जनता की स्थिति खराब होती जा रही है। देश में लगातार हो रहे हमलों की वजह से लोग अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रहें हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर पड़ा है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से उछाल आया है। हिंसा का खामियाजा बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि पूर्वी अफ्रीकी देश में लड़ाई शुरू होने के बाद से सूडान में लगभग 500 बच्चे भूख से मर चुके हैं। जिनमें राजधानी खार्तूम में सरकार द्वारा संचालित अनाथालय के दो दर्जन बच्चे भी शामिल हैं।
‘सेव द चिल्ड्रेन’ के अनुसार कम से कम 31 हजार बच्चों को कुपोषण और संबंधित बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं मिल पाई है, क्योंकि परमार्थ संस्था को सूडान में अपने 57 पोषण केंद्रों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सूडान में सेना और एक प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल के बीच महीनों से चल रहे तनाव के बाद 15 अप्रैल को खुली लड़ाई शुरू हो गई थी, जिससे अराजकता की स्थिति पैदा हो गई। संघर्ष ने खार्तूम और अन्य शहरी क्षेत्रों को युद्ध के मैदान में बदल दिया है। कई निवासी पानी और बिजली के बिना रहने को मजबूर हैं, जबकि देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली लगभग ध्वस्त हो गई है। सूडान में ‘सेव द चिल्ड्रन’ के निदेशक आरिफ नूर ने कहा, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि हम इतनी संख्या में बच्चों को भूख से मरते देखेंगे, लेकिन सूडान में अब यही हो रहा है। हम बच्चों को ऐसी स्थिति में मरते देख रहे हैं जिसे पूरी तरह रोका जा सकता था।’
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज थ्रोसेल के अनुसार, सूडान में हिंसा में कम से कम 4 हजार लोगों के मारे जाने का अनुमान है। जमीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक होने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी के अनुसार, 44 लाख से अधिक लोगों को अपने घरों से भागकर या तो सुरक्षित क्षेत्रों में या पड़ोसी देशों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
‘सेव द चिल्ड्रन’ ने कहा कि मई और जुलाई के बीच, दक्षिणी व्हाइल नाइल प्रांत में कम से कम 316 बच्चे, जिनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के थे, कुपोषण या संबंधित बीमारियों से मर गए। जबकि पिछले आठ महीनों में 2 हजार 400 से अधिक बच्चों को गंभीर कुपोषण के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पूर्वी कादरिफ प्रांत में अप्रैल और जुलाई के बीच सरकार द्वारा संचालित बाल अस्पताल में कुपोषण से कम से कम 132 बच्चों की मौत हुई है। परमार्थ संस्था ने कहा कि संघर्ष के पहले छह हफ्तों में खार्तूम के एक अनाथालय में दो दर्जन शिशुओं सहित कम से कम 50 बच्चों की भूख या संबंधित बीमारियों से मृत्यु हो गई। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लड़ाई के कारण ‘सेव द चिल्ड्रन’ के कर्मचारी उनकी देखभाल के लिए वहां तक पहुंच नहीं पाए।
गौरतलब है कि हमलों के कारण कई अस्पतालों को बंद कर दिया गया है और जो अस्पताल अभी सेवा प्रदान कर रहे हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। हिंसा के कारण उसके पड़ोसी राज्यों ने सीमाओं को भी बंद कर दिया है। ऐसे में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। हमले में घायल हुए लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है वहीं इस युद्ध की कीमत बच्चे भी चुका रहे हैं।
क्यों छिड़ा गृह युद्ध सूडान में 40 हजार स्थानों पर सोने का खनन होता है। देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं। साल 2017 में इन खद्यानों पर अर्धसैनिक बल आरएसएफ मिलीशिया ने कब्जा कर लिया। जनरल मोहम्मद हमदान दगालो वर्तमान में सूडान के इसी अर्ध सेना बल (आरएसएफ) के प्रमुख हैं। सूडान में अक्टूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था। जिसके बाद सूडान की सत्ता दो प्रमुख लोगों (आरएसएफ) के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो और सेना प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान में बंट गई।
पिछले साल अक्टूबर 2022 में दोनों ही सेनाओं ने सहमति बनाते हुए एक नागरिक सरकार के गठन करने की योजना बनाई। जिसमें यह तय किया गया कि सोने का पूरा उत्पादन चुनी हुई सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन जनरल मोहम्मद हमदान दगालो की बढ़ती ताकत को देखते हुए सैन्य शासक जनरल अल बुरहान के करीबी लोगों ने अर्धसैनिक बल की गतिविधियों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश शुरू कर दी। सेना का कहना है कि अर्धसैनिक बल सेना के अंतर्गत ही आता है इसलिए उसे सेना में शामिल कर लेना चाहिए। जिसके कारण सेना के खिलाफ जनरल दगालो का गुस्सा भड़क उठा और (आरएसएफ) ने 15 अप्रैल 2023 को सेना के शिविरों पर हमला करना शुरू कर दिया। तब से यह मामला थम नहीं पाया है। हिंसा इतनी बढ़ गई है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। मासूम बच्चे भूख के चलते दम तोड़ रहे हैं।