थाईलैंड दुनिया का एक खूबसूरत देश है। यही खूबसूरती इस एशियाई देश में पर्यटकों को आकर्षित करती है। पर्यटकों के यहां आकर्षण की एक वजह यह भी है कि यहां की सैर उन्हें सस्ती पड़ती है। पर्यटन इस देश की अर्थव्यवस्था की रीड है। इस रीड़ में ज्यादातर महिलाएं जुड़ी हुई है। थाईलैंड की एक खास विशेषता यह भी है कि यहां अगर आप राजतंत्र के खिलाफ कुछ भी अपशब्द बोलते है तो आपको कड़ी सजा दी जा सकती है। लेकिन अब उसी थाईलैंड में जहां राजतंत्र के खिलाफ कुछ बोलने पर सजा होती है वहां अब हजारों की संख्या में युवा राजतंत्र के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। थाईलैंड दक्षिण पू्र्वी एशिया में आता है। यह वही देश है जो 19 वीं और 20वीं सदी में यूरोपियन देशों का गुलाम नहीं रहा। हजारों की संख्या में लोग थाईलैंड की राजधानी बैकॉक में थ्री फिंगर सल्यूट क्यों कर रहे है। आखिर क्या वजह है कि यहां हाईस्कूल और यूनिर्सिटी छात्र राजतंत्र के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
दरअसल थाईलैंड में फ्यूचर फारवर्ड पार्टी और उसके नेता थानथोर्न जुनाग्रोंगुरुंगकिट युवाओं और आम लोगों में काफी पॉपुलर हो रही थी। पार्टी की स्थापना 15 मार्च 2018 को हुई थी। पार्टी को थाईलैंड के लोगों और युवाओं ने खूब पंसद किया। लेकिन थाई सरकार को पार्टी रास नहीं आई और 21 फरवरी 2020 को इसे भंग कर दिया। 2019 में चुनाव हुए, उम्मीद थी कि पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी और लोकतांत्रिक व्यवस्था देश में लागू होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि जब पार्टी को भंग कर किया गया था, तब से युवा काफी गुस्से में थे। युवाओं का गुस्सा तब और ज्यादा बढ़ गया जब लोकतांत्रिक समर्थक वंचलेरार्म सतसकसित का कंबोडिया की राजधानी फेनोम फेम में अपहरण कर लिया गया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने #whydoweneedaking नाम से हैशटैग चलाया, हैशटैग को एक मिलियन लोगों ने पोस्ट किया। लेकिन सरकार और सेना की तरफ से कहा गया कि इससें हमारी किसी भी तरह की कोई साजिश नहीं है।
प्ररदर्शनकारी तब ज्यादा आग बबूला हुए जब एक तिवागर्न विनीटन नाम के मानवाधिकार कार्यकर्ता को एक नारा लिखे टीशर्ट पहनने पर पागलखाने भेज दिया गया। कार्यकर्ता की टीशर्ट पर लिखा था, ”मेरा राजशाही से विश्वास उठ गया है।” प्रदर्शकारियों का कहना है कि वह राजशाही के विरुद्ध नहीं है बल्कि वह इस व्यवस्था में आधुनिकता और बेहतर करना चाहते है। इसे हमारी पीढ़ी के साथ समाप्त करें। वे बार-बार होने वाले तख्तापलट से थक गए हैं। इस तरह के नारे प्रदर्शनकारी वहां लगा रहे है।