नेपाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मची सियासी उथलपुथल के चलते नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के ओली और प्रचंड धड़े में तल्खी बढ़ गई है। इससे देश में मध्यावधि चुनाव के आसार हैं। कहा जा रहा है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो धड़ों में किसी समझौते की उम्मीद नहीं है। इस सबके बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री ओली ज़रूरत पड़ने पर नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनवा सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह भी संभव है कि इन दोनों में से कोई एक सरकार में होगा और दूसरा बाहर से समर्थन करेगा।”
प्रधानमंत्री ओली के पास दो विकल्प हैं- या तो वे संसद के अंदर विश्वास मत हासिल करें या फिर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें।अविश्वास प्रस्ताव मत के दौरान वैकल्पिक प्रधानमंत्री की बात उभर सकती है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि दूसरे गुट के पास उतनी क्षमता है कि वह अपना प्रधानमंत्री बनवा सके। उदाहरण के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर हो सकता है कि प्रचंड अपना नाम प्रस्तावित कराएँ, लेकिन नेपाली कांग्रेस को उनकी मदद करके कोई फ़ायदा नहीं होगा। वहीं एक सवाल यह भी है कि भारी विरोध प्रदर्शन करने वाला गुट नेपाली कांग्रेस प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार में क्यों शामिल होना चाहेगा?”
ऐसी रिपोर्टें भी आई हैं, जिनके मुताबिक़ नेपाली कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व के ओली से अच्छे रिश्तों का पता चलता है। ऐसे में ओली भी नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार चला सकते हैं। इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं करते हैं कि प्रधानमंत्री ओली ज़रूरत पड़ने पर नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनवा सकते हैं।वैसे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरपर्सन दहाल ने संसद भंग होने से पहले कहा था कि भविष्य में वे प्रधानमंत्री पद पर दावा नहीं करेंगे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते 23 फरवरी मंगलवार को 13 दिनों के अंदर संसद सत्र बुलाने का निर्देश दिया । प्रतिनिधि सभा की मौजूदा स्थिति में नई सरकार का गठन संभव नहीं दिख रहा है। चीन दरअसल ओली और प्रचंड धड़ों के बीच सहमति बनाने में जुटा है।
विपक्षी एकता की सुगबुगाहट
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों में जारी घमासान के बीच गैरकम्युनिस्ट दलों को नेपाली कांग्रेस एक मंच पर लाने में जुटी है। नेपाली कांग्रेस के नेता समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों के लगातार संपर्क में हैं। भारत को भी मध्यावधि चुनाव की स्थिति में गैरकम्युनिस्ट दलों में सहमति बनने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि साल 2018 में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) का विलय हुआ था। इसके बाद नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी सबसे ताकतवर हो गई थी।