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सेवानिवृत्त हुआ कंबोडिया का जासूस चूहा

एक चूहे को उसकी बहादुरी के लिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया है। चूहे का नाम मागवा है और इसे ब्रिटेन की पीपल्स डिस्पेंसरी फॉर सिक एनिमल्स (पीडीएसए) ने मेडल से नवाजा है। आठ साल का मागवा एक अफ्रीकी विशालकाय पाउच वाला चूहा है। वह कंबोडिया में बारूदी सुरंग खोजने का काम कर रहा है। मागवा ने अब तक सूंघकर 39 बारूदी सुरंगें और 28 बिना फटे बमों का पता लगाया है। अब मैग्वा रिटायर हो गया है।

मैग्वा को APOPO (एंटी पर्सनल लैंडमाइंस डिटेक्शन प्रोडक्ट डेवलपमेंट) नामक बेल्जियम की चैरिटी द्वारा बारूदी सुरंग खोजने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसका मुख्यालय तंजानिया में है। संगठन 1990 के दशक से इन चूहों को गंध के माध्यम से बारूदी सुरंगों और विस्फोटक रसायनों को खोजने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। एक साल के प्रशिक्षण के बाद उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है। इन चूहों को हीरो रैट कहा जाता है।

एपीओपीओ के मुताबिक, मागवा का जन्म तंजानिया में हुआ था और वहां उन्होंने प्रशिक्षण लिया। इसका वजन 1.2 किग्रा और लंबाई 70 सेमी है। यह चूहे की कई अन्य प्रजातियों की तुलना में बहुत बड़ा है, लेकिन फिर भी इतना हल्का है कि अगर यह किसी बारूदी सुरंग के ऊपर से गुजरा तो इसमें विस्फोट नहीं होगा।

मागवा एक टेनिस कोर्ट के बराबर क्षेत्र को केवल 20 मिनट में खोज सकता है। अगर कोई आदमी मेटल डिटेक्टर से भी ऐसा ही करे, तो इसमें चार से पांच दिन लग सकते हैं। मागवा सुबह आधा घंटा ही काम करता है। अब वह सेवानिवृत्त हो गया।

युद्ध के बाद मलबा हटाने वाले एनजीओ हैलो ट्रस्ट के अनुसार, 1979 से कंबोडिया में इन बारूदी सुरंगों से 64,००० लोग मारे गए हैं और 25,००० लोग विकलांग हो चुके हैं। 1970 और 1980 के दशक में देश में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान इन बारूदी सुरंगों को बिछाया गया था।

कंबोडिया सहित दुनिया भर के देशों में वर्तमान में 80 मिलियन बारूदी सुरंगें सक्रिय हैं। वह कहां है पता नहीं।

 

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