इजरायल के लोग राजनीतिक अस्थिरता से तंग आ चुके हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि इस बार भी जनता ने किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है
इजरायल में दो वर्षों में चैथी बार संसदीय चुनाव हुए, लेकिन फिर भी अस्थिर सरकार बनने के आसार हैं। बेंजामिन नेतन्याहू को इस बार भी निराशा हाथ लगी, क्योंकि उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। हालांकि बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनने के लिए छोटे राजनीतिक दलों का सहारा लेना पड़ेगा। पिछले चुनाव में भी इजरायल के लोगों ने किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं दिया था। जिसके कारण बेंजामिन को गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी। लेकिन आपसी कलह के कारण सरकार भंग हो गई थी। जिसके कारण बेंजामिन की सरकार गिर गई थी। अब चैथी बार भी इजरायल के लोगों ने किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है।
23 मार्च को हुए चुनाव में लिकुड पार्टी को 30 सीटें मिली। यश अटिड दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। याईर लापेड की इस पार्टी को 17 सीटें मिली। इजरायल की संसद में 120 सीटें है। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 61 सीटें जीतनी पड़ती हैं। पूरे इजरायल और उसके कब्जे वाले वेस्ट बैंक में मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। इजरायल में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 6.5 मिलियन है। देश में पिछले दो सालों से राजनीतिक अस्थिरता के कारण कोई सरकार लंबे समय नहीं चल पा रही। इसलिए पिछले दो साल में देश के लोगों ने चैथी बार संसदीय चुनाव के लिए मतदान किया।
चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद अब राष्ट्रपति सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आंमत्रित करेंगे। इस समय इजरायल में सबसे बड़ी पार्टी लिकुड पार्टी है। सत्ता में आने के लिए उसे छोटे दलों का सहयोग लेना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि यामिना पार्टी बेंजामिन नेतन्याहू के साथ हाथ मिला सकती है। यामिना पार्टी बेनी गांट्ज की है, जो देश के रक्षा मंत्री रह चुके हैं। पिछले चुनाव में याईर लपिड ने बेनी गांट्ज के सहयोग से चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में गांट्ज ने नेतन्याहू की पार्टी के साथ सत्ता की साझेदारी को लेकर समझौता कर लिया था। इस बार फिर गांट्ज बेंजामिन के पाले में जाते दिख रहे हैं। इस बार बेंजामिन को अपने पूर्व सहयोगियों की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। पूर्व शिक्षा मंत्री गडियन सार को नेतन्याहू का करीबी माना जाता था। लेकिन नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्होंने न्यू होप नाम से एक अलग दल बना लिया था।
दो साल में चैथी बार हुए चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ। पिछली बार 71.05 प्रतिशत मतदान हुआ, इस बार 67.02 प्रतिशत लोगों ने अपना मत दिया। दरअसल, देश में बार-बार चुनाव होने के कारण लोग परेशान हो चुके हैं। यरुशलम निवासी ब्रूस रोमेन ने अपना वोट डालने के बाद कहा, यह दो वर्ष में चैथी बार है जब हमें एक सरकार चुनने के लिए बार-बार वोट डालना पड़ रहा है। बेहतर यह होता कि एक बार में ही सरकार बन जाती। बहुमत प्राप्त पार्टी के नेता के पास बहुमत साबित करने के लिए 28 दिन का वक्त होता है, इसके अलावा राष्ट्रपति 14 दिन का समय और दे सकता है। अगर सबसे बड़ी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाती तो राष्ट्रपति दूसरी बड़ी पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए न्यौता देता है।