म्यांमार में राजनीतिक तख्तापलट के बाद से ही सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं। लेकिन आंदोलनकारी सेना की इस बर्बरता के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। लागातार नेशनल लीग आफ डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की की रिहाई की मांग उठ रही है। अब भी सेना की क्रूरता जारी है। 1 फरवरी को हुए सेना तख्तापट के बाद म्यांमार में अब तक 40 पत्रकारों को हिरासत में लिया जा चुका है। अब खबर आ रही है कि बीबीसी के एक पत्रकार को भी सेना ने गिरफ्तार कर लिया है।
बीबीसी के बर्मी भाषा के पत्रकार आंग थुरा को उन लोगों ने हिरासत में लिया जो राजधानी नेपीता की अदालत बाहर बिना वर्दीधारी पुलिसकर्मी खड़े हुए थे। नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ही वह पार्टी है जो सेना तख्तापलट के बाद देश का शासन चला रहे है। म्यांमार में तख्तापलट के बाद 40 पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिनमें से कुछ को छोड़ दिया गया है कुछ अभी हिरासत में है। बीबीसी ने अपने बयान में कहा है कि वह आंग थुरा को बिना वर्दी धारी पुलिसकर्मियों द्दारा लेकर जाने से अत्यंत चितिंत है। उन्होंने् कहा है कि बीबीसी ने म्यांमार में अपने सभी कर्मचारियों की सुरक्षा को गंभीरता से लिया है और हम वह सबकुछ कर रहे है जो हम आंग थुरा को खोजने के लिए कर सकते है।
बीबीसी ने कहा है कि आंग काफी अनुभवी पत्रकार है जो काफी समय से बीबीसी से जुड़े हुए है। सेना ने एलान किया है कि अब अगर कोई सेना के खिलाफ बोलेगा तो उसे देशद्रोह करार दिया जाएगा। इतना ही नहीं 15 दिन के अंदर ही मौत की सजा सुना दी जाएगी। जिस पर भी देशद्रोह लगाया जाएगा वो कोर्ट की मदद भी नहीं ले सकता। प्रदर्शनकारियों को म्यांमार की सेना हर तरह से यातना दे रही है। हिरासत में लिए गए लोगों की मौत तक की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में यूनाइटेड नेशंस के रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोगों को अंधाधुंध जानबूझकर गोलियां मारी जा रही हैं और म्यांमार में अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप करना चाहिए। अब तक म्यांमार में सेना की क्रूरता के चलते लगभग 149 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।