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युद्धग्रस्त सीरिया के चौथी बार राष्ट्रपति बने बशर अल असद, पश्चिमी देशों ने कहा चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं था

जब हम सीरिया का नाम सुनते है तो हमारे आंखों के समाने खूनी संघंर्ष, बमबारी, मौतें इत्यादि की तस्वीरें सामने आने लगती है। हाल ही में सीरिया में चुनाव हुए, चुनावों में एक बार फिर बशर अल असद ने इतिहासिक जीत दर्ज की और चौथी बार युद्धग्रस्त सीरिया के राष्ट्रपति बने।

लेकिन असद के विरोधियों ने इस चुनावों को पांखड़ बताया, इसके साथ ही पश्चिमी देशों ने भी चुनाव को लेकर सीरिया पर निशाना साधा है।

चुनावों में बशर अल असद की पार्टी को 95.1 प्रतिशत मत मिले। उनके आपोजिट विरोधी महमूद अहमद मारी को 3.3 प्रतिशत वोट मिले और अब्दुल्ला सालौम अब्दुल्ला को 1.5% मत हासिल हुए। चुनावों की निंदा करते हुए यूरोपियन देशों औऱ अमेरिका ने कहा कि सीरिया का राष्ट्रपति चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं था।

हालांकि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने चुनावों नतीजों से पहले ही पश्चिमी प्रतिक्रियाओं को जीरो बताया था।

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सीरिया की संसद की अध्यक्ष हम्मूद सब्बाग ने बुधवार 26 मई को चुनाव नतीजों की घोषणा की, उन्होंने बताया कि असद को इन चुनावों में 95.1 प्रतिशत वोट मिले है। 17 घंटे तक चले इस चुनाव में 78.6 प्रतिशत लोगों ने वोट किया। इन चुनावों में स्वतंत्र और निष्पक्ष निगरानी वाली कोई संस्था नहीं थी।

राष्ट्र्पति चुनाव में सीरिया के 1.8 करोड़ लोगों ने मतदान किया था। बशर अल असद की जीत पहले ही लगभग तय थी। सीरिया पिछले दस साल से युद्धग्रस्त है। संघर्ष से प्रभावित देश में विद्रोहियों और कुर्द बलों के नियंत्रण वाले इलाकों में मतदान नहीं हुआ।

उत्तर पश्चिम और पूर्वोत्तर सीरिया के इन इलाकों में कम से कम 80 लाख लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश विस्थापित हैं। करीब 50 लाख शरणार्थियों ने मत नहीं डालने का फैसला किया।

अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने भी चुनाव की वैधता पर यह कहते हुए सवाल उठाए हैं कि यह संघर्ष के समाधान के लिए बने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं, इनमें अंतरराष्ट्रीय निगरानी का अभाव है और इनमें सीरिया के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ है।

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