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जेल में लेखक की मौत पर घिरी बांग्लादेश सरकार, अमेरिका ने कहा जांच हो

बांग्लादेश की सरकार भले ही बोलने की आजादी की तरफदारी करती हो मगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लिखने वाले एक लेखक की मौत के साथ ही तय हो गया है कि सरकार चाहे किसी भी देश की क्यों ना हो, खिलाफत में उठने वाली आवाज को बर्दाश्त नहीं कर पाती है। ग्लादेश के लेखक मुश्ताक अहमद को सरकार के खिलाफ लिखने के ‘जुर्म’ में एक साल से जेल में कैद करके रखा गया था। लेखक मुश्ताक अहमद उन 11 लोगों में शामिल थे जिन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। मुश्ताक अहमद पर प्रधानमंत्री शेख हसीना की कोविड संक्रमण में मिस-मैनेजमेंट और भ्रष्टाचार को लेकर आलोचना करने का इल्जाम लगा था। मुश्ताक अहमद के परिवार ने कैद में उनकी मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि जेल में मुश्ताक अहमद को जुल्म का शिकार बनाया गया था। उनके खिलाफ सरकार ने दमन चक्र चलाया और उन्हें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिली है। काशिमपुरा जेल के अधीक्षक मोहम्मद गियासीद्दीन ने कहा कि ‘जेल में मुश्ताक अहमद अचानक बेहोश हो गये थे जिसके बाद उन्हें जेल के ही अस्पताल में ले जाया गया था लेकिन उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। जिसके बाद जेल प्रशासन उन्हें गाजीपुर स्थिति किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराया मगर अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

सोशल मीडिया पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ लिखने वाले लेखर मुश्ताक अहमद पर बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बांग्लादेश डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के तहत देश की सरकार को किसी भी वक्त, किसी भी शख्स के खिलाफ एक्शन लेने का, उसे गिरफ्तार करने का, उसे जेल में बंद करने का का अधिकार हासिल है। बांग्लादेश की सरकार इस कानून के तहत किसी भी शख्स को फाइनेंसियल एक्टिविटि, सिक्योरिटी ब्रीच, डिफेंस, रिलिजियस वैल्यूज और पब्लिक डिसिप्लिन खराब करने का आरोप लगाकर उसे जेल भेज सकती है और लेकर मुश्ताक अहमद पर इसी कानून का इस्तेमाल कर उन्हें जेल भेजा गया था।

अमेरिका ने भी उनकी मौत को लेकर चिंता जताई है. साथ ही कहा है कि तुरंत उनकी मौत की जांच निष्पक्ष तरीके से हो। अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इसको लेकर बांग्लादेश के दूतावास को एक बयान जारी किया है। इसते तहत निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। इसमें कहा गया है, ‘हम डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में रहते हुए बांग्लादेशी लेखक मुश्ताक अहमद की मौत से चिंतित हैं। हम बांग्लादेश सरकार से पारदर्शी जांच कराने और सभी देशों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।

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