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रोहिंग्या मुसलमानों को जबरन एक द्वीप पर ले जा रही है बाग्लादेश सरकार

रोहिंग्या मुसलमानों का जीवन एक लुढ़कते हुए पत्थर की तरह हो गया है। म्यांमार से बेदखल किये जाने पर उन्होंने दूसरे देशों में शरण ली, वहां की जनता उन्हें पचा नहीं पा रही है। बांग्लादेश उनका सबसे बड़ा हिमायती बनकर आगे आया वहां भी रोहिंग्याओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रोहिंग्या मुस्लिम को विश्व की सबसे प्रताड़ित की जाने वाली अल्पसंख्यक समूह माना जाता है। रोहिंग्या मुस्लिमो। 2016- 2017 के अत्याचार के बाद म्यांमार को छोड़कर उन्हे। शरण के लिए बांग्लादेश और भारत जैसे देशो मे रुख करना पड़ रहा था।लेकिन अब उनको बांग्लादेशी अधिकारियो। द्वारा एक अलग द्वीप में स्थानांतरित किया जा रहा है। रोहिंग्या की वर्तमान स्थिति के बारे में जानने की कोशिश करते है।

चरमपंथियों ने रखा इन राज्य में 30 पुलिस चैकियों और सेना के अड्डे पर हमला किया था। उस समय सेना और सरकार ने कहा था कि हमले में कम से कम 12 सुरक्षाकर्मी मारे गए। जिसके बाद म्यांमार की सेना ने बदले की कार्रवाई करते हुए रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अभियान छेड़ा था। बौद्ध बहुसंख्यक देश से अगले कुछ हफ्तों तक रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश की ओर पलायन कर गए। इनकी संख्या 7 ़3 लाख बताई गई। म्यांमार के सीमावर्ती रखाइन राज्य से अधिकतर रोहिंग्या शरण के लिए बांग्लादेश गए थे। कुछ लोग मलेशिया और इंडोनेशिया की तरफ भी गए थे। तथा कुछ लोग भारत मे।भी गए। संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने बाद में पाया कि म्यांमार की सेना ने नरसंहार के इरादे से अभियान चलाया था। म्यांमार इससे इनकार करता आया है और उसकी दलील है कि सेना चरमपंथियो।से लड़ रही थी।

म्यांमार से आये रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के काक्स बाजार में सबसे अधिक संख्या में रहते हैं। यूएन की रिफ्यूजी एजेंसी, बांग्लादेश सरकार और आप्रवासियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के मुताबिक दस लाख के करीब रोहिंग्या मुसलमान पांच कैंपों में रहते हैं इन कैंपों में आधे से अधिक शरणार्थी बच्चे हैं और पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक हैं कैंपों में रहने वाले शरणार्थियों को राष्ट्रीय सहायता समूहों और बांग्लादेश की सरकार खाना, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य मूलभूत सुविधाएं देती हैं, जैसे कि सामुदायिक शौचालयय और पीने का पानी। अब लगभग एक लाख रोहिंग्याओ।को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा एक अलग द्वीप में स्थानांतरित किया जा रहा है। यह द्वीप 13,000 एकड़ क्षेत्र में फैला है और यहां पर एक लाख रोहिंग्या के लिए आश्रय का इंतजाम किया गया है। लेकिन लोगों का कहना है कि तूफान के दौरान पानी द्वीप पर आ सकता है। इस पर सरकार का दावा है कि बाढ़ से बचाने के लिए यहां बांध बनाए गए हैं।

शुक्रवार को अधिकारियो।ने शरणार्थियों के पहले जत्थे, जिनमें 1,600 लोग शामिल हैं उन्हें द्वीप में भेजा जा रहा है कई संगठनों ने अधिकारियों से इस प्रक्रिया को रोकने की अपील की लेकिन अधिकारियो पर इसका कोई असर होता नहीं दिखा। बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने कहा, सरकार किसी को भी जबरदस्ती उस द्वीप में नहीं ले जाएगी। हम अपनी इस स्थिति पर कायम है। कई मीडिया की खबरों के अनुसार कुछ शरणार्थियों का कहना हैं कि सरकार द्वारा नियुक्त स्थानीय नेताओं द्वारा तैयार सूची में उनके भी नाम शामिल हैं, लेकिन उन्होंने द्वीप पर जाने की सहमति नहीं दी थी। नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि शरणार्थियों को ले जाने के लिए सात नावों की व्यवस्था की गई है, जिसमें दो नाव पर खाने-पीने का सामान होगा। एक 31 वर्षीय शरणार्थी का कहना हैं, वे हमें जबरन उठाकर ले जा रहे हैं। तीन दिन पहले जब मुझे पता चला कि मेरे परिवार का नाम सूची में है, तो मैं भाग गया, लेकिन कल उन्होंने मुझे पकड़ लिया और अब मुझे द्वीप पर भेज रहे हैं। 60 साल की सोफिया ने बताया, उन्होंने मेरे बेटे को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके दांत टूट गए, ताकि वह द्वीप पर जाने के लिए तैयार हो जाए।

मैं उसे और उसके परिवार को देखने आई हूं और हो सकता है कि में उसे आखरी बार देख रही हूं। सोफिया इसके बाद रोने लगती हैं। अपने भाई और उसके परिवार को अलविदा कहने आए 17 साल के हाफिज अहमद कहते हैं, मेरा भाई दो दिनों से लापता था। अब हमें पता चला कि वह यहां ट्रांजिट कैंप में है, जहां से उसे द्वीप ले जाया जाएगा। वह खुद से नहीं जा रहा है। मानवाधिकार समूहों ह्यूमन राइट्स वाच और एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक कुछ शरणार्थियों को द्वीप पर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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