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जनभावनाओं के दबाव में ऑस्ट्रेलिया ने किया राष्ट्रीय गान में बदलाव 

किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय गान उस देश की पहचान होता है,और देशवासियों के लिए सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश की पहचान राष्ट्रीय गान ”एडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर” में कुछ बदलावों की घोषणा की है। आस्ट्रेलिया ने अपने राष्ट्रीय गान की दूसरी पंक्ति ‘फॉर वी आर यंग एंड फ्री’ को बदलकर ”फॉर वी आर वन एंड फ्री” कर दिया है।  यानि अब वहा के राष्ट्रीय गान के मायने है कि हम एक है और स्वतंत्र है। पहले कहा जाता था कि ‘हम युवा और स्वतंत्र है देश की जनता को लगा कि राष्ट्रीय गान सिर्फ युवाओं के लिए नही, बल्कि सबके लिए है तो बदलाव की जरूरत महसूस हुई सरकार ने जनभावनाओं का सम्मान किया।

ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय गान में लम्बे समय से आलोचना थी कि आस्ट्रेलिया खुद को युवा देश बताकर शेष नागरिकों को अपने इतिहास से अलग कर देता है। इस राष्ट्रीय गान में अब ‘फॉर आर यंग’ की जगह ‘फॉर वी आर वन’ शब्द बदल जाने की वजह से आस्ट्रेलिया के सभी देशवासियों की देश में समान प्रतिष्ठा होगी। आस्ट्रेलिया राष्ट्रीय गान में पहले भी 1984 में बदलाव किया गया था ,तब ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय गान गॉड सेव दा क़्वीन था। आस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय गान की रचना गान पीटर डोड्स मैककॉर्मिक ने की थी।

”भारत में भी राष्ट्रीय गान को लेकर रहा है विवाद  

भारत में पहली बार 27 दिसंबर 1911 को  कांग्रेस के 27वें अधिवेशन में गाया गया था। तभी से इसको लेकर यह विवाद शुरू हो गया था कि राष्ट्रीय गान में यह अधिनायक शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया आरोप लगते हैं  कि यह गाना जार्ज पंचम के सम्मान में लिखा गया पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्यन्यायधीश रह चुके जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने तो यहां तक कहा  था कि रविंद्र नाथ टैगोर ब्रिटिश हुकूमत की कठपुतली थे। यही वजह है कि उन्होंने जार्ज पंचम की स्तुति में राष्ट्रीय गान लिखा हिंदी के यशस्वी रवि रघुवीर सहाय ने भी अपनी कविता के पंक्ति में पूछा है कि राष्ट्रीय  गान में आखिर वह भाग्य  विधाता कौन  है ?”

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