हालिया दिनों में अफ़ग़ानिस्तान में कई पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक हस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। पत्रकारों की हत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में अब 1 जनवरी को पश्चिमी अफगानिस्तान में शुक्रवार को कुछ अज्ञात बन्दूक धारियों द्वारा एक प्रतिष्ठित पत्रकार को गोली मार दी गई। पिछले दो महीनों में यह पांचवें पत्रकार की हत्या है। जो वहां के पत्रकारों के लिए डर का माहौल पैदा कर रहा है।
गोर के प्रांतीय प्रवक्ता द्वारा बताया कि बंदूक धारियों ने प्रांतीय राजधानी फिरोज कोह के पास बिस्मिल्लाह आदील एमाक की गाड़ी पर गोलीबारी की। हालांकि, दोनों पक्षों ने ही कुछ प्राथमिक मसलों पर प्रगति की है, युद्ध विराम या सत्ता साझा करने के समझौते पर अभी तक दोनों के बीच कोई बातचीत शुरू नहीं हुई है।
बताया जा रहा है कि वह एक नजदीकी गांव में अपने परिवार से मिलकर शहर लौट रहे थे। प्रवक्ता आरिफ अबीर ने बताया कि कार में सवार एमाक के भाई समेत अन्य सुरक्षित हैं। एमाक स्थानीय रेडियो सदा-ए-गोर के प्रमुख थे। वह मानवाधिकार कार्यकर्ता भी थे। फ़िलहाल हमले की जिम्मेदारी तत्काल किसी के द्वारा नहीं ली गई है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहीद ने कहा कि इस हमले से उसके संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। हिंसा की ये घटनाएं ऐसे समय पर हो रही हैं, जबकि अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के बीच दोहा में शांति वार्ता जारी है।
गौरतलब है कि पिछले महीने मशहूर टेलीविज़न प्रेजेंटर यामा सियावाश की अन्य दो लोगों के साथ हत्या कर दी गई थी। रेडियो लिबर्टी की रिपोर्टर आलियास दायी को लश्कर गाह में कार बम हमले में मार दिया गया था। अफ़ग़ानिस्तान की शुरुआती महिला डायरेक्टरों में से एक सबा सहर को काबुल में गोली मार दी गई थी। हालांकि वे इस हमले में बच गईं।
लगातार हो रही पत्रकारों की हत्या पर अफ़ग़ानिस्तान में मीडिया को सपोर्ट करने वाले एक संगठन ने एक बयान जारी किया। उन्होंने अपने इस बयान में कहा कि मलाला की हत्या के साथ ही महिला पत्रकारों के लिए काम करना और बेहद मुश्किल हो गया है और अब पहले की तरह से शायद पत्रकार अपना काम नहीं कर पाएंगे।