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म्यांमार में सेना का कत्लेआम जारी, 24 घंटे में लगाया शवों का ढेर

म्यांमार में 9 अप्रैल, शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने यंगून शहर के पास प्रदर्शनकारियों पर राइफ़ल ग्रेनेड चलाई जिसके कारण 80 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी म्यांमार के एक समाचार आउटलेट और ‘असिस्टेंस असोसिएशन फ़ॉर पोलिटिकल प्रिज़नर्स’ नाम की एक संस्था द्वारा दी गई है।

म्यांमार के स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और चश्मदीदों का कहना है कि शुरुआत में यंगून शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित बगो शहर में सुरक्षाबलों के हमले में मारे गए लोगों की संख्या का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल था। चश्मदीदों का यह भी कहना है कि सुरक्षाबलों द्वारा शवों को ज़ेयार मुनी पगोडा (एक तरह की बौद्ध इमारत) के परिसर में बुरी हालत में एक के ऊपर एक लादकर रख दिया गया था और इलाके को चारों तरफ़ से घेर लिया गया था।

शनिवार को स्थानीय समाचार एजेंसी ‘म्यांमार नाउ’ और एएपीपी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने सैन्य तख़्तापलट के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे 82 लोगों को मार दिया है। म्यांमार नाउ के अनुसार “सेना ने शुक्रवार सुबह से पहले गोलियाँ चलानी शुरू कीं और यह दोपहर तक जारी रहा।”

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एक प्रदर्शन आयोजक ये हुतुत ने समाचार एजेंसी को बताया, “यह नरसंहार जैसा है। वो हर किसी को गोली मार रहे हैं। यहाँ तक कि वो परछाइयों पर भी गोली चला रहे हैं।”

सेेेना ने ली कुल 618 लोगो की जान

सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि म्यांमार में बहुत से लोग तो शहर छोड़कर भाग गए हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि इस बारे में म्यांमार की सेना जुनटा से संपर्क नहीं किया जा सका।

एएपीपी सुरक्षाबलों के हाथों गिरफ़्तार होने वालों और मारे जाने वालों की दैनिक सूची भी तैयार कर रही है।संस्था का कहना है कि फ़रवरी में हुए तख़्तापलट के बाद से सेना कुुुल 618 लोगों की जान ले चुकी है। जबकि म्यांमार की सेना इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के दावे से इनकार कर रही है। शुक्रवार को म्यांमार की सेना जुनटा के प्रवक्ता मेजर जनरल ज़ॉ मिन टुन ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि सेना के मुुुताबिक 248 नागरिकों और 16 पुलिसकर्मियों की मौत हुई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर किसी तरह के स्वचालित हथियार का प्रयोग नहीं किया है।

स्थानीय मीडिया के मुुुताबिक शनिवार को म्यांमार में एथनिक आर्मी के एक समूह ने जुनटा के विरोध में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया जिसमें 10 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। स्थानीय मीडिया के मुुुताबिक एथनिक आर्मी समूहों द्वारा म्यांमार के पूर्वी प्रांत शान में स्थित एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया गया। ‘शान न्यूज़’ के मुुुताबिक हमले में 10 पुलिसकर्मियों की मौत हुई। तो वहीं, ‘श्यू फी म्याय न्यूज़’ के मुुुताबिक कुल 14 पुलिसकर्मी मारे गए।

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शुक्रवार को म्यांमार की सेना ने कहा कि सैन्य शासन के विरुद्ध लोगों का प्रदर्शन ठंडा पड़ रहा है क्योंकि वह शांति चाहते हैं। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि वो दो साल के भीतर चुनाव भी कराएंगे। तो वहीं सत्ता से बेदखल कर दिए गए म्यांमार के नेताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से सेना के विरुद्ध कार्रवाई की अपील की गई।

बेदखल किए गए सांसदों की ओर से चुनी गई कार्यवाहक विदेश मंत्री ज़िन मार आंग ने कहा, “हमारे लोग अपने अधिकार और आज़ादी पाने के लिए कोई भी क़ीमत चुकाने को तैयार हैं।” साथ ही उन्होंने यूएनएससी से जुटना पर प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरह के दबाव डालने की अपील की है। म्यांमार विद द इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ सलाहकार रिचर्ड होर्सी ने संयुक्त राष्ट्र की एक अनौपचारिक बैठक में अपना पक्ष रखते हुए कहा, “म्यांमार बर्बाद होने वाला एक देश बनने की कगार पर खड़ा है।”

म्यामांर में सैन्य तख़्तापलट के बाद से लोग लगातार इसके विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए हैं और कई हिरासत में भी लिए गए हैं।

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