म्यामार में करीब छह महीने पहले हुए तख्तापलट के बाद खूनी संघर्ष जारी है। इन छह महीनों के भीतर ही देश के लगभग ढाई लाख लोग लापता हो चुके हैं। ऐसे में अब म्यांमार के सैन्य नेता मिन आंग हलिंग ने खुद को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है। उन्होंने कल एक अगस्त को एक टेलिविजन पर दिए गए संदेश में कहा कि वो दो साल के भीतर यानी 2023 तक देश में चुनाव कराए जाने की योजना बना रहे हैं। इस दौरान संकट के राजनीतिक समाधान के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सहयोग करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें स्वतंत्र और निष्पक्ष बहुदलीय चुनाव कराने के लिए स्थितियां बनानी चाहिए। हमें इसकी तैयारी करनी होगी। मैं इस अवधि में बहुदलीय चुनाव कराने का वादा करता हूं।

सैन्य शासन के विरोध में आवाजें उठाई जा रही हैं
मिन आंग हलिंग की घोषणा म्यांमार की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सैन्य तख्तापलट में उखाड़ फेंकने के छह महीने बाद आई है। पूरे देश में सैन्य शासन के विरोध में आवाजें उठाई जा रही हैं। बता दें कि म्यांमार की सेना ने फरवरी में अपनी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका था। तख्तापलट करते हुए यह दावा किया गया कि चुनाव धोखाधड़ी से हुआ था।
म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की की पार्टी ने चुनाव जीता था। उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद से अवैध रूप से वॉकी-टॉकी रेडियो रखने और कोरोना नियमों का उल्लंघन करने सहित कई अपराधों का उनपर आरोप लगाया गया।
दरअसल , एक फरवरी 2021 को आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट करने के बाद देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। सैन्य अधिकारियों ने अपनी इस कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा था कि सैन्य प्रमुखता वाले 2008 के संविधान में ऐसा करने की अनुमति है।
सेना ने चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया
सेना का दावा है कि आंग सान की पार्टी को पिछले साल आम चुनाव में भारी जीत फर्जीवाड़े से मिली। हालांकि, सेना ने अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। सेना ने देश के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। अपदस्थ नेता आंग सान सू की पर गंभीर आरोप लगाए गए। आंग सान की तरफ से कोई सीधा बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है, बल्कि जो कुछ भी उनकी ओर से कहा जाता रहा है, वो उनके वकील ही बताते हैं।
सेना ने देशभर में बहाया खून
सरकार को गिराए जाने के बाद देशभर में लोगों ने सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन किए थे। लोगों की आवाज को दबाने के लिए सेना ने निहत्थे लोगों पर खूब गोलियां बरसाई। जिसके चलते अब तक कम से कम 739 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 3 हजार 300 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। सेना ने लोगों को खूब यातनाएं तक दी। इस समय यहां लोग कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रहे हैं। देश में मेडिकल ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की कमी हो गई है।