म्यांमार में राजनीतिक तख्तापलट के बाद से ही सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं। आलम यह है कि आंदोलनकारी भी सेना के इस बर्बरता के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। लागातार नेशनल लीग आफ डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की के रिलीज की मांग उठ रही है। अब भी सेना की क्रूरता जारी है। अब राजनीतिक नेताओं को भी सेना की हिरासत में यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
एक पूर्व सांसद ने जानकारी दी कि म्यांमार की नेता आंग सान सू की राष्ट्रीय लीग के लिए डेमोक्रेसी (एनएलडी) के एक अधिकारी की मंगलवार,9 मार्च को गिरफ्तारी के बाद हिरासत में मौत हो गई है।
विघटित संसद के ऊपरी सदन के सदस्य बा मायो थीन द्वारा बताया गया कि ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ (एनएलडी) के नेता जौ मयात लीन को मंगलवार को यंगून से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें पुलिस कडटी में यातना सहनी पड़ी। जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। पुलिस कस्टडी में मरने वाले लीन पार्टी के दूसरे नेता हैं, जिनकी हिरासत में मौत हुई है।
Zaw Myat Linn, म्यांमार के सबसे बड़े शहर में एक वोकेशनल संस्थान चलाते थे, हाल के दिनों में हिरासत में मरने वाले वह दूसरे एनएलडी अधिकारी हैं। 2020 में निर्वाचित एक एनएलडी सांसद के अभियान प्रबंधक के रूप में काम करने वाले खिन मूँग लट्ट की शनिवार को गिरफ्तारी के बाद मृत्यु हो गई थी।
‘चाहो तो मुझे मार दो’
सेना की क्रूरता और म्यांमार की पूरी कहानी बताती एक तस्वीर इन दिनों काफी वायरल हो रही है। ये तस्वीर म्यांमार की पूरी कहानी कहती जान पड़ती है। एक नन्ने टेके, हाथ फैलाए बीच सड़क पर बैठी है। उसके सामने बंदूकें से लैस पुलिस है लेकिन वह निर्भक होकर कहती है, “मेरी जान ले लो लेकिन बच्चों को छोड़ दो।”
दरअसल, सिस्टर एन रोज नू आंग ने उत्तरी म्यांमार शहर में सशस्त्र पुलिस अधिकारियों के एक समूह के सामने घुटने टेक दिए और निवेदन किया, “मेरी जान ले लो लेकिन बच्चों को छोड़ दो।” बहुसंख्यक-बौद्ध देश में लोगों ने उनके इस अदम्य साहस की प्रशंसा की है।
उन्होंने 9 मार्च, मंगलवार को एएफपी को बताया, “मैंने उनसे पहले ही कहा था … मैं बच्चों को गोली मारने और गाली देने के लिए नहीं, बल्कि मुझे गोली मारने की भीख मांगती हूं।” उन्होंने कहा, “बच्चे घबराहट में भागने लगे। मैं कुछ नहीं कर सकी लेकिन बच्चों को बचाने और उनकी मदद करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।”
हम विवश हैं: पुलिस
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और वीडियो में वह पुलिसवालों से बात करती दिख रही हैं। इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी उनके सामने भी घुटने टेके और हाथ जोड़े दिख रहे हैं। सिस्टर ने इस बारे में बताया कि वह अनुरोध कर रही थी कि प्रदर्शनकारियों को चोटें नहीं पहुंची। उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह समझें। पुलिसवाले भी सिस्टर का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। वह दिलासा देते हुए दिख रहे हैं कि उनकी मंशा किसी को चोट पहुंचाने की बिल्कुल नहीं है। वह विवश हैं उनकी मंशा केवल रास्ता खाली करना है।
लोकतंत्र की वापसी की मांग को लेकर म्यांमार में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सेना आंसू गैस, पानी की तोपों, रबर की गेंदों का उपयोग करके अपने बल का उपयोग बढ़ा रही है। एक स्थानीय बचाव दल ने एएफपी को बताया कि बीते सोमवार को हुई झड़पों के दौरान दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि क्या असली गोलियों या रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया गया था।