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आम धारणा है कि भौतिक संपन्नता से जीवन में खुशहाली रहती है। धनी लोगों का जीवन खुशी से बीतता है। पैसे से हर सुख सुविधा हासिल की जा सकती है। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि सुख, संतुष्टि, शांति और संयम सिर्फ पैसे से नहीं आते। अगर ऐसा होता तो दुनिया के नई धनाढ़य लोग आत्महत्या नहीं करते। साधनसंपन्न और बड़े लोगों का जीवन कितना जटिल होता है, यह हाल में मशहूर कैफे चेन सीसीडी (कैफे काफी डे) के मालिक वीजी सिद्धार्थ की दर्दनाक मौत से समझा जा सकता है। गायब होने के 36 घंटे बाद उनका शव मिला है। जानकारी के मुताबिक सिद्धार्थ का शव मंगलुरू के हौजी बाजार के पास नेत्रावती नदी के किनारे से मिला है। आशंका जताई जा रही है कि उन्होंने खुदकुशी की है।

 

दरअसल, अरबपति लोगों को भी आमलोगों की तरह ही निराशा घेरती है। वे अवसाद में आते हैं। उन्हें तनाव परेशान करता है और जब वो ये सब झेल नहीं पाते तो जिंदगी खत्म करने का रास्ता चुनते हैं। वीजी सिद्धार्थ की तरह दुनियाभर में कई अरबपतियों ने सुसाइड किया है। उनके पास बेहिसाब पैसा था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। वे तनाव को झेल नहीं पाए। दुनिया में अरबपति लोगां की आत्महत्या के बहुत से उदाहरण हैं। ब्रिटेन के जोनाथन रैथ एक ऐसी ही युवा अरबपति थे। उन्हें अपने पिता और अपनी संपत्ति बेचकर 300 करोड़ से भी ज्यादा की रकम मिली थी। लेकिन 2009 में उन्होंने अपनी पिस्टल उठाई और गोली मारकर सुसाइड कर लिया। उन्होंने सुसाइड नोट तक नहीं छोड़ा था। किसी को पता नहीं चल पाया कि एक युवा अरबपति जोनाथन रैथ ने क्यों आत्महत्या की। कुछ लोगों का कहना था कि अपने पिता डेविड की मौत के बाद वे गहरे सदमे में चले गए थे। इसी वजह से उन्हांने सुसाइड किया।

इसी तरह का मामला अमेरिका के अरबपति एली एम ब्लैक का है। एली एम ब्लैक यहूदी- अमेरिकी बिजनेसमैन थे। वो यूनाइटेड ब्राड्स कंपनी के मालिक थे। एक चतुर और आगे की सोच रखने वाले ब्लैक ने दूध के बोतल की कैप बनाने वाली कंपनी से अपने करियर की शुरुआत की थी। उनकी कंपनी ने फल निर्यात करने वाली एक कंपनी यूनाइटेड फ्रूट कंपनी से करार किया था। उन्होंने कामयाबी की बुलंदिया छुई। लेकिन उस वक्त वे विवादों में घिर गए। जब उन पर होडुरास के प्रेसीडेंट को 204 मिलियन डालर का घूस देने के आरोप लगे। वो एक्सपोर्ट टैक्स को कम करवाना चाहते थे। इस विवाद ने उन्हें इतना तनावग्रस्त कर दिया कि वो अपनी 44 मंजिला ऑफिस की खिड़की से कूदकर अपने आफिस के सामने पार्क एवेन्यू की भीड़ के सामने उन्होंने सुसाइड कर लिया था।

ब्रिटेन के ही 49 वर्षीय अरबति हूबर्ट बुमिस्टर ने भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उनका शव सुसाइड करने के एक हफ्ते बाद ब्रिटेन के उनके घर से काफी दूर वुडलैड में मिला था। बुमिस्टर एबीएन एमरो बोर्ड के मेंबर थे। एबीएन को रायल बैंक ऑफ स्कटलैंड ने टेकओवर किया था। बुमिस्टर को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। उनकी सैलरी करीब 3 करोड़ 70 लाख थी। सुसाइड करने से तीन महीने पहले उनकी नौकरी चली गई थी। अपने पत्नी फ्रेडरिक को लिखे सुसाइड नोट में बुमिस्टर ने बताया था कि वो अब और जिंदा नहीं रह सकते।

वर्ष 2008 में ब्रिटिश बिजनेसमैन क्रिस्टोफर फोस्टर ने बहुत बुरे तरीके से अपनी और अपने परिवार की जान ले ली थी। 50 साल के बिजनेसमैन ने पहले अपनी पत्नी और बेटी की हत्या की फिर अपने घर को आग के हवाले कर दिया। बाद में खुद की जान भी ले ली। क्रिस्टोफर ने अपनी पत्नी जेलियन और बेटी क्रिस्टी को गोली मारी थी।
फोस्टर की कंपनी आयल रिग इंसुलेशन टेक्नोलॉजी पर काम कर रही थी। एक वक्त में उसकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी। आलीशान लाइफ स्टाइल जीने के चक्कर में वो कर्ज के बोझ तले दब गया। कर्ज की वजह से ही उन्होंने अपने परिवार समेत खुद की जान ले ली थी।

मैक्सिको के जान लारेन्स एक कामयाब बिजनेसमैन था। वो महंगे और आलीशान घर में रहता था। पब्लिशिंग वर्ल्ड से उसने इतनी कमाई की थी कि एक खुशहाल और संपन्न जिंदगी जी रहा था। सबकुछ ठीक था। सिर्फ एक चीज को छोड़कर उसकी पत्नी कैरोलिन कैंसर से मर रही थी। अपनी शादीशुदा जिंदगी के बाद 47 साल की पत्नी की बीमारी ने जान लारेन्स को परेशान कर दिया था। जान लारेन्स ने मैक्सिको से कूरियर के जरिए जहर मगवाया। पति पत्नी दोनों ने एक-साथ जहर खाकर जान दे दी। दोनों के शव के साथ ही एक सुसाइड नोट भी मिला। लारेन्स अपनी पत्नी के बिना अकेले जिंदगी के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ ही जिंदगी खत्म करने का फैसला ले लिया।

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