पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, रहमान ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम यहां रोज रात को मुजरा करते हैं। यहां सम्मानजक लोग बैठे हैं। वे अय्याशी करने के लिए यहां नहीं आए हैं। मेरी शालीनता मुझे उन दृश्यों को दोहराने की अनुमति नहीं देती है, जो हम सभी इस्लामाबाद में देख चुके हैं।’ रहमान ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो निश्चित रूप से अराजकता होगी।
यह भी पढ़े : पाकिस्तानी गायिका रबी पीरजादा छोड़ेंगी मनोरंजन उद्योग
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी समेत विपक्षी दलों ने भी सरकार विरोधी प्रदर्शन को समर्थन दिया है। पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही और पीएमएल-क्यू अध्यक्ष चौधरी शुजात हुसैन के साथ मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए रहमान ने कहा, ‘सकारात्मक जवाब की स्थिति अभी नहीं बनी है। यह हर किसी का देश है, जब जहाज डूबता है तो हम सभी डूबते हैं। देश में अशांति है और यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि इस अशांति को खत्म किया जाए।’
रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार बीच का रास्ता ढूंढना चाहती है तो उसे सुझाव रखने चाहिए, फिर विपक्ष देखेगा। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने खुद स्वीकार किया है 95 फीसदी फॉर्म में हस्ताक्षर नहीं थे और पूछा कि क्यों संसदीय आयोग एक साल से सक्रिय नहीं था। नेता ने कहा, ‘इमरान खान, जुल्फिकार अली भुट्टो से बड़ी शख्सियत नहीं हैं अगर वह दोबारा चुनाव करा सकते थे तो इमरान क्यों नहीं? ’
राजधानी में हो रहा यह प्रदर्शन पिछले साल आम चुनाव जीतने के बाद से खान के सामने विपक्ष की पहली संयुक्त चुनौती है। प्रधानमंत्री ने बुधवार को प्रदर्शनकारियों की खैरियत को लेकर चिंताएं जताई और अधिकारियों से प्रदर्शन स्थल का दौरा करने को कहा। खान ने एक ट्वीट में कहा, ‘मैंने सीडीए अध्यक्ष को फौरन धरना स्थल पर जाकर मदद करने के निर्देश दिए हैं कि धरने में शामिल होने वाले लोगों को बारिश और बदलते मौसम के कारण किस सहायता की आवश्यकता है।’
उनकी यह टिप्पणी तब आयी है जब एक दिन पहले पाकिस्तान सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच दूसरे दौर की वार्ता गतिरोध को तोड़ने में नाकाम रही। हालांकि खान ने कहा कि वह ‘आजादी मार्च’ के प्रदर्शनकारियों की सभी ‘जायज’ मांगें मानने के लिए तैयार हैं। रहमान का कहना है कि जब तक खान इस्तीफा नहीं दे देते तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।