पूरा विश्व पहले ही कोरोना वायरस की चपेट में हैं। लगातार संक्रमण के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। वहीं इस बीच एक और रहस्यमय बीमारी अपने पैर पसारने लगी है। इस नई बीमारी ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में दस्तक दी है। यहाँ यह बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। सबसे चौकानें वाली बात यह है कि अकेले न्यूयॉर्क में ही 73 से अधिक बच्चों में यह बीमारी फ़ैल चुकी हैं। जिनमें तीन की मौत भी हो चुकी है।
अमेरिका में इस रहस्यमय बीमारी के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। केवल अमेरिका ही नहीं ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड में भी 50 बच्चों में यह बीमारी देखी गई है। प्राप्त जानकरी के अनुसार, इसकी चपेट में आने वाले बच्चों की उम्र लगभग 2 से 15 साल बताई गई है। कई यूरोपीय देशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, स्विटजरलैंड और इटली में भी इस रहस्यमय बीमारी के करीब 50 मामले प्रकाश में आए हैं।
रहस्यमय बीमारी के लक्षण कावासाकी जैसे
इसपर डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक डॉ. मारिया वैन केरखोवे ने कहा कि यूरोपीय देशों में इस बीमारी के लक्षण बचपन में होने वाली बीमारी कावासाकी के लक्षणों जैसे है। शुरूआती छानबीन में पता चला है कि बच्चों पर इस रहस्यमय बीमारी का असर इसलिए ज्यादा हो सकता है। क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए फिलहाल जेनेटिक टेस्ट कराए जा रहे हैं।
यह बीमारी क्या है इसका पता लगाने के लिए न्यूयॉर्क जीनोम सेंटर और रॉकफेलर यूनिवर्सिटी मिलकर काम कर रहे हैं। इनके द्वारा बीमारी के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। शुरू-शुरू में इस बीमारी को कोरोना से जोड़कर देखा जा रहा था। परन्तु न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू क्योमो का कहना है कि इस रहस्यमय बीमारी वाले अधिकतर बच्चों में सांस लेने में परेशानी के लक्षण नहीं देखे गए हैं।
साथ ही क्योमो की ओर से केवल 3 मौत बताई जा रही है लेकिन स्थानीय मीडिया में मौत का आकंड़ा दावे के साथ 10 बताया जा रहा है। न्यूयॉर्क स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी बयान जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि इस बात की जांच जारी है कि कुल कितने मामले हैं और मारे गए बच्चों में से कितनों की मौत इस बीमारी से हुई है।
क्या हो सकते हैं लक्षण
इस रहस्यमय बीमारी को लेकर डॉक्टर्स भी असमंजस में हैं। उनका कहना है कि अभी तक बीमारी और उसके कारण स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। जिसके चलते इलाज में भी दिक्क़ते आ रही हैं। हालांकि, रोगियों को स्टेरॉयड, इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन और एस्पिरिन जैसी दवाएं दी जा रही हैं। केवल हालात गंभीर होने पर ही एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं। बताया जा रहा है कि कुछ मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा और ज्यादा गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ रहा है।
एक न्यूज़ पेपर न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों में पाया गया है कि त्वचा और धमनियां सूज जाती हैं। आँखों में जलन की शिकायत रहती है और शरीर पर लाल धब्बे बनने लगते हैं। साथ ही कुछ समय में त्वचा का रंग भी परवर्तित होने लगता है। इसके आलावा लंबे समय तक बुखार, पेट-सीने में गंभीर दर्द और लो ब्लड प्रेशर जैसी दिक्क़ते सामने आती हैं।