कोरोना महामारी की रोकथाम में भारतीय संस्थान आइसीएमआर के बेहतरीन प्रदर्शन से प्रभावित होकर अमेरिका 12.2 करोड़ डालर की आर्थिक सहायता देगा। अमेरिका ने आगामी महामारियों को रोकने, बीमारी के खतरों का जल्द पता लगाने और त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए शीर्ष भारत के तीन चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। 122,475,000 डालर (करीब 9,52, 46,01,000 रुपये) की कुल धनराशि आगामी पांच वषरें में तीन शीर्ष भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों -इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर), नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलाजी (एनआइई) को वितरित की जाएगी।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा बुधवार को घोषणा की गई। इस वित्तीय मदद से भारत में भविष्य में होने वाली महामारियों से रोकथाम में बहुत मदद मिलेगी। इससे आइसीएमआर संस्थानों के उभरते और आगामी रोगजनकों पर ध्यान केंद्रित करके संक्रामक रोग के खतरों से सुरक्षित करने में सक्षम होगा। इनमें से प्रमुख रूप से एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के माध्यम से जेनेटिक रोग के प्रकोप का पता लगाना और नियंत्रित करना शामिल है। टीका सुरक्षा निगरानी प्रणाली का मूल्यांकन; क्षेत्र महामारी विज्ञान और प्रकोप प्रतिक्रिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यबल को सक्षम बनाना और रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करना आदि शामिल है।
सीडीसी ने कहा कि आइसीएमआर इस कार्य को करने में सक्षम है क्योंकि यह मूल रूप से भारत में जैव चिकित्सा अनुसंधान के निर्माण, समन्वय और प्रचार के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में स्थापित है। हाल के वर्षों में इसने संक्रामक रोगों की अधिकांश प्रयोगशाला-आधारित निगरानी की है। 30 सितंबर, 2022 से शुरू होने वाली फंडिंग के लिए पात्रता आइसीएमआर और आइसीएमआर संस्थानों तक सीमित है जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी (एनआइवी), पुणे और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलाजी (एनआईई), चेन्नई शामिल हैं।
कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के लिए सर्वोच्च शासी निकाय है जो भारत के लिए विशिष्ट वैज्ञानिक क्षेत्र में उत्कृष्टता और संदर्भिक केंद्र है। जैसे कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलाजी और कई अन्य इन संस्थानों को परिवार स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत में प्राथमिकता वाले रोगजनकों की प्रयोगशाला पुष्टि के लिए एक स्तरीय तरीके से निगरानी प्रदान करने के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य कायरें के लिए निगरानी डाटा का मिलान और विश्लेषण करने और जहां ये संस्थान स्थित हैं उन राज्यों की सरकार के साथ मिलकर काम करती है।