पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका में एक के बाद एक गोलीबारी की घटनाओं ने देश को हिलाकर रख दिया है। जेएएमए नेटवर्क द्वारा प्रकाशित की गई एक स्टडी के अनुसार अमेरिका में अब तक गोलीबारी की घटनाओं में मारे गए लोगों की संख्या 1 मिलियन यानी 10 लाख हो गई है। इन घटनाओं का आलम यह है कि अमेरिका सामाजिक तनाव से त्रस्त नजर आ रहा है
अमेरिका को दुनिया का सबसे संपन्न और समृद्ध देश माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से समाज में बढ़ती हिंसा इतनी गहरी हो चुकी है कि अमेरिका सामाजिक तनाव से त्रस्त नजर आ रहा है। हिंसा का आलम यह है कि आए दिन स्कूलों, सड़कों, कार्यक्षेत्रों और यहां तक कि मंदिर-मस्जिद और गिरजाघरों में भी गोलीबारी की घटनाएं सामने आती रहती हैं। स्कूल और कॉलेज के बच्चे भी आपस में इतने हिंसक होते जा रहे हैं कि वे खुलेआम गोलीबारी करने लगे हैं। इन घटनाओं के बढ़ने का कारण अमेरिकी का ‘गन कल्चर’ को बढ़ावा देना माना जा रहा है।
जेएएमए नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में अब तक गोलीबारी की घटनाओं में मारे गए लोगों की संख्या 1 मिलियन यानी 10 लाख तक पहुंच गई है। लगातार बढ़ रही गोलीबारी की घटना वर्ष 2014 से खासकर स्कूलों में तेजी से बढ़ रही है। वहीं सीएनएन द्वारा एकत्रित किये गए डाटा के अनुसार अमेरिका में वर्ष 2014 में गोलीबारी के 273, 2015 में 336, 2016 में 383, 2017 में 348, 2018 में 336, 2019 में 417, 2020 में 610, 2021 में 690, 2022 में 648 और वर्ष 2023 की शुरुआत के तीन हफ्तों में 39 मामले दर्ज किये गए हैं।
दरअसल, हाल ही में याकिमा शहर के एक स्टोर में एक सिरफिरे बदमाश ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। पुलिस के हाथों पकड़े जाने से पहले बदमाश ने भी खुद को गोली से उड़ा लिया। एक दिन पहले सैन फ्रांसिस्को के पास हाफ मून बे शहर में एक ट्रक कंपनी में और एक खेत में गोलीबारी की घटनाएं हुई थीं, जिनमें सात लोगों की जानें चली गई थी। इन घटनाओं से पहले भी अमेरिका के कई शहरों में गोलीबारी की घटनाएं होती रही हैं। अमेरिका में पुलिसिंग दुनिया की बेहतरीन व्यवस्थाओं में शामिल है, इसके बावजूद ऐसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अमेरिका में जिंदगी इतनी सस्ती क्यों है, क्यों कोई बदमाश इतनी आसानी से कई जानें ले लेता है?
तीन हफ्तों में 39 सामूहिक गोलीबारी
अमेरिका में नए वर्ष के पिछले तीन हफ्तों के भीतर 39 बार सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन बढ़ती घटनाओं का कारण अमेरिका में चल रहे ‘गन कल्चर’ को बताया जा रहा है। यह घटनाएं न केवल इस वर्ष बल्कि पिछले कई वर्षों से सामने आती रही हैं लेकिन सरकार द्वारा कड़े कदम न उठाए जाने के कारण ये घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में नव वर्ष की शुरुआत में 48 घंटों के भीतर 2 भीषण गोलीबारी की घटना देखी गई। इन घटनाओं में अब तक 18 लोगों की जान चली गई है। इसके बाद 21 जनवरी 2023, को कैलिफोर्निया के मोंटेरी पार्क में एक बंदूकधारी ने बेरहमी के साथ 11 लोगों को गोली से भून डाला। यह इस साल की अब तक की सबसे घातक गोलीबारी थी। इस घटना के दो दिन बाद यानी 23 जनवरी 2023 को उत्तरी कैलिफोर्निया में ‘हाफ मून बे’ में गोलीबारी कर सात लोगों की हत्या कर दी गई। इस घटना के कुछ घंटे बाद ‘ऑकलैंड’ में एक नौजवान ने गोलीबारी में एक व्यक्ति को गोली मारकर उसी बन्दूक से आत्महत्या कर ली थी।
इन घटनाओं पर अफसोस जताते हुए कैलिफोर्निया के गवर्नर ‘गेविन न्यूजोम’ ने अपने बयान में इसे त्रासदी कहा है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बार फिर खतरनाक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने का आह्नान किया है तो अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकार बयानों बजाए गन कल्चर पर पाबंदी लगाने पर ध्यान दे। क्योंकि ये घटनाएं पिछले कई सालों से अलग-अलग राज्यों में देखी जा रही हैं लेकिन बंदूकों की बिक्री से हो रही कमाई के कारण सरकार अभी तक इस कानून पर पाबंदी नहीं लगा पाई है। जिसके कारण नववर्ष के पहले ही महीने में देश के 17 अलग- अलग राज्यों में गोलीबारी की 39 घटनाएं हुई हैं।
दरअसल अमेरिका में दूसरे संविधान संशोधन के तहत नागरिकों को हथियार रखने का अधिकार है, लेकिन यहां हर व्यक्ति पर हथियारों का औसत 100 में से 120 देखा गया है। बड़े पैमाने पर होने वाली गोलीबारी की ऐसी घटनाओं के बावजूद, अमेरिका में हथियारों पर नियंत्रण से जुड़ा कोई राष्ट्रीय स्तर का मजबूत कानून नहीं है। ऐसे सामूहिक कत्लेआम के बाद, हर बार अमेरिका के राष्ट्रपति कड़े बयान जारी कर देते हैं और नए कानून बनाने की मांग कर डालते हैं। लेकिन यह बयान केवल बयान तक ही सीमित रह जाते हैं इन पर आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2022 में, 18 साल के एक पूर्व छात्र ने टेक्सास के प्राथमिक स्कूल के 19 बच्चों को गोली से उड़ा दिया था। तब बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और संसद द्वारा हस्ताक्षर कर एक व्यापक ‘आग्नेयास्त्र’ कानून पारित किया गया। जिसके तहत 21 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बंदूक खरीदने से पहले उनकी पृष्ठभूमि की जांच की बात की गई। साथ ही, बंदूक की तस्करी और किसी दूसरे के नाम पर की जाने वाली खरीदारी पर जुर्माने का प्रावधान किया गया। इन कानूनों की तारीफ की गई, लेकिन दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा बंदूक रखने वाले इस देश में हिंसा पर लगाम लगाने के लिए ये कदम पर्याप्त नहीं थे। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने न्यूयॉर्क राज्य के एक कानून को निरस्त करने का फैसला सुनाया जिसमें घर के बाहर बंदूक लेकर जाने पर पाबंदी की बात कही गई थी।
विशेषज्ञ कहते हैं कि ‘इन फैसलों की वजह से यह धारणा ज्यादा मजबूत होती जा रही है कि दूसरे संशोधन की वजह से राज्यवार सख्त कानून बनाना आसान नहीं है। हाउस डेमोक्रेट्स ने पिछले साल खतरनाक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन वह बाइडेन की मेज तक पहुंचा ही नहीं क्योंकि बिल अभी तक सीनेट में अटका हुआ है। इसका कारण अंदर तक पहुंच रखने वाले और काफी प्रभावशाली राष्ट्रीय राइफल संघ और शक्तिशाली हथियार उद्योग ने बंदूक पर किसी भी तरह का नियंत्रण रखने की कोशिशों का लगातार विरोध किया है। भले ही सर्वेक्षणों में बंदूकों पर कड़े प्रतिबंध की मंशा जाहिर होती हो। अमेरिकी सरकार यह भली-भांति जानती है कि गन रखने पर कानून बनाए जाना बेहद अनिवार्य है। लेकिन आश्चर्यजनक है कि एक ऐसा लोकतंत्र जो अपने मूल्यों पर गर्व करता हो, एक ऐसी महाशक्ति जिसने अपने नागरिकों की रक्षा के नाम पर कई युद्ध लड़े हों, वह हर साल बंदूक से हो रही हजारों नागरिकों की हत्या को रोकने में असहाय नजर आ रहा है।

अमेरिका में आसान है हथियारों की खरीद
एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में सबसे ज्यादा हथियार महिलाएं खरीदती हैं। अमेरिकी गन कंपनियों ने पिछले 20 सालों में बड़े बाजार विकसित कर लिए हैं। जो नागरिकों को अपनी सुरक्षा करने के हिसाब से हथियार खरीदने को प्रेरित करती हैं। ये कंपनियां सेल्फ डिफेंस, स्वाभिमान और अपराधों का डर दिखाकर हथियार बेचते हैं। जहां वर्ष 2000 में देश में 85 लाख हथियार बिके थे। वहीं पिछले साल यह संख्या 3 करोड़ 89 लाख तक पहुंच गई थी। इनमें भी सबसे ज्यादा हथियार महिलाओं ने खरीदे हैं। अमेरिकी गन कंपनियों ने हथियार रखना शान और शौकत का विषय बनाकर खूब हथियार बेचें और वहां के वकीलों और
नेताओं ने लोगों को भरोसा दिलाया कि हर किसी के पास एक बंदूक तो होनी ही चाहिए।
मर्दों के बीच असली मर्द बनें
साल 2020 में रंगभेद विरोधी प्रदर्शन के दौरान कायल रिटेनहाउस ने 2 लोगों की हत्या कर दी थी। लेकिन पिछले साल नवंबर में कोर्ट ने उसे बरी किया था। कोर्ट से बरी किए जाने के कुछ देर बाद फ्लोरिडा के एक गन डीलर ने असाल्ट राइफल लहराते एक व्यक्ति की फोटो को इस नारे के साथ प्रचार किया कि मर्दों के बीच असली मर्द बनें। हालांकि जब रिटेनहाउस ने 2 लोगों की हत्या की थी, तब वह केवल 17 साल का था। एक रिपोर्ट के अनुसार गन कंपनियां अब युवाओं को अपना टारगेट कस्टमर बना रही हैं। वे उनके बीच सेना के द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले छोटी बंदूकों को खूब प्रचारित करते हैं। ह्यूस्टन में नेशनल राइफल एसोसिएशन के सम्मेलन में एक गन निर्माता ने एआर-15 स्टाइल की गन को बीआरओ-टॉरेंट (जालिम) और बीआरओ प्रिडेटर (शिकारी) नाम से पेश किया। दर्जनों अन्य निर्माताओं, डीलरों ने इसी तरह का प्रचार किया और 2012 में सेंडीहुक स्कूल हत्याकांड के बाद बंदूकों की बिक्री बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ी है।
गन इंडस्ट्री ने किया खरीदारों का रिकॉर्ड तैयार
गन इंडस्ट्री ने साल 2016 से अपने खरीदारों का रिकॉर्ड रखना शुरू किया। इस रिकॉर्ड के आधार पर साल 2021 में एक स्टडी में पाया गया कि आमतौर पर गन रखने वाले ज्यादातर लोग 40 वर्ष की आयु के गोरे लोग हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा लोगों ने हैंडगन खरीदी थी। अमेरिका में महिलाओं को प्रभावित करने के लिए लंबे समय से अभियान चलाए जा रहे हैं। 1996 में लेडीज होम जर्नल पत्रिका में एक विज्ञापन में किचन की टेबल पर एक हैंडगन को रखा दिखाया गया है। साथ में स्लोगन था-होम ऑनर्स इंश्योरेंस। 1960 से 1990 के बीच अधिकतर विज्ञापन सिर्फ शिकार के लिए गन के उपयोग पर केंद्रित थे। लेकिन उसके बाद आत्मरक्षा और शौक के लिए हथियारों के विज्ञापन पर जोर दिया जाने लगा। हालांकि 2019 में ऐसे विज्ञापन केवल 10 फीसदी रह गए थे मगर सेमीऑटोमैटिक हैंडगन और एआर-15 राइफलों की बिक्री बढ़ गई। पहले जहां इन हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ पुलिस एजेंसियां और सेना करती थी, वहीं आज आम अमेरिकी नागरिक भी इन हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।