जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद मोदी सरकार को संसद में दूसरी बड़ी कामयाबी मिली जब उसने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को दोनों सदनों से पारित करा लिया।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये क़ानून बन चुका है। लेकिन भारतीय संसद से पारित होने के बाद भी इस कानून को लेकर जारी चर्चा थमी नहीं है। इस क़ानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ तो देश के कई हिस्सों में इसके समर्थन में भी रैलियां निकली गई।
अब इस बिल के समर्थन में विदेश में बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी नागरिक संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी के समर्थन में सामने आए हैं और वे इस विवादित कानून के बारे में ”गलत सूचनाओं और मिथकों” को दूर करने के लिए अमेरिका के कई शहरों में रैलियां कर रहे हैं। भारतीय संसद में जब से नागरिकता विधेयक पारित हुआ है तब से भारत में प्रदर्शन चल रहे हैं।
भारत सरकार ने मंगलवार 24 दिसंबर को 2021 की जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के लिए 12,700 करोड़ रुपये की मंजूरी दी और यह साफ किया कि एनपीआर का विवादित एनआरसी से कोई संबंध नहीं है। इन रैलियों का उद्देश्य कानून के बारे में ”गलत सूचनाओं और मिथकों” को दूर करना और साथ ही घृणा और झूठ के दुष्प्रचार का विरोध करना है।
भारतीय-अमेरिकियों ने सिएटल, 22 दिसंबर को ऑस्टिन तथा 20 दिसंबर को ह्यूस्टन में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने सीएए के समर्थन में रैलियां की। डबलिन, ओहियो और उत्तर कैरोलिना में 22 दिसंबर को रैलियां की गईं। इसके बाद डलास, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क सिटी, वॉशिंगटन डीसी, अटलांटा, सैन जोस और अन्य स्थानों पर भी आगामी सप्ताहों में कई अन्य प्रदर्शन करने की योजना है।
उत्तर कैरोलिना के रालेघ में रैली में 70 से अधिक प्रतिष्ठित डॉक्टरों और सामुदायिक नेताओं ने भाग लिया। उन्होंने मांग की कि भारत में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों को सख्त सजा दी जाए और इन गतिविधियों के पीछे के सरगनाओं को बख्शा न जाए।