आखिरकार अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अलग होने के अपने फैसले पर अमल कर दिया है। अब वह डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं रहा। अमेरिका के इस कदम को विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
अमेरिका की नाराजगी इस बात को लेकर है कि चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैलाई है, लेकिन डब्ल्यूएचओ उसे जिम्मेदार ठहराने के बजाए उसके हाथों में खेल रहा है। यही वजह है कि उसने कोरोना को महामारी घोषित करने में देरी की।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल माह में ही डब्ल्यूएचओ से अलग होने की घोषणा कर दी थी। जानकारों के मुताबिक इस वक्त अमेरिका डब्ल्यूएचओ को फंडिंग करने वाले बड़े देशों में है।
ऐसे में उसके डब्ल्यूएचओ से अलग होने पर इस संगठन के स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इसका असर दुनिया के उन मुल्कों पर पड़ेगा जहां डब्ल्यूएचओ के कार्यक्रम चल रहे हैं। दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या में हर दिन बेतहाशा इजाफा हो रहा है। अब तक दुनिया में 1 करोड़ 18 लाख 54 हजार 520 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 5 लाख के करीब लोगों की मौतें हो चुकी हैं।
अकेले अमेरिका में मंगलवार 7 जुलाई को कोरोना के 1 लाख 21 हजार 939 नए केस सामने आए हैं। जब से कोरोना का दौर आया है तब से अमेरिका विश्व स्वास्थया संगठन पर आरोप लगाता आ रहा है कि वह चीन की हिमायत करता है।
अब अमेरिका ने अधिकारिक तौर पर इस संगठन से अपना नाता तोड़ लिया है। दूसरी तरफ कोरोना को लेकर विश्व स्वास्थ संगठन ने एक बार फिर से सभी देशों को सचेत करते किया है कि कोरोना का पीक आना अभी बाकी है। ऐसे समय में सबको अधिक सावधानी बरतनी पड़ेगी।