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अमेरिका ने किया 13 देशों से नए समझौते का ऐलान

अमेरिका का राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद एशिया के पहले दौरे पर आए जो बाइडेन ने 12 देशों के साथ नए कारोबारी समझौतों का ऐलान किया है। जो बाइडेन ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि इस समझौते की मदद से अमेरिका उन सभी एशियाई देशों के साथ वितरण प्रणाली, डिजिटल कारोबार, ऊर्जा, भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में ज्यादा निकटता से काम कर पाएगा। 

वहीं अमेरिका के साथ 12 देशों के साथ हुए समझौते को इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क नाम दिया गया है। इस समझौते में अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया, भारत, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

बता दें कि अमेरिका के साथ इन देशों की दुनिया की कुल जीडीपी में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। समझौते में शामिल उन देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस में जारी युद्ध अभियान बाद मची उठापटक के बाद यह सामुहिक साझेदारी से हमारी अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य के लिए तैयार करने में सहयोग करेगा।

क्या है नया समझौता ?

वहीं अर्थव्यवस्था मामलों के जानकारों का कहना है कि इस समझौते में कुछ कमियां हैं। यह संभावित साझेदारों को शुल्क में छूट या फिर अमेरिकी बाजारों तक अधिकतम पहुंच जैसी किसी प्रोत्साहन का प्रस्ताव नहीं दे रहा है। इन रुकावटों के वजह से अमेरिकी फ्रेमवर्क प्रशांत पार साझेदारी (टीपीपी) का बेहतरीन विकल्प नहीं मुहैया करा रहा है। अमेरिका के इस समझौते से बाहर निकलने के बाद भी इन तमाम देशों की साझेदारी आगे बढ़ रही है। वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया था।

निशाने पर चीन

अर्थव्यवस्था के मामलों के जानकारों का मानना है कि अमेरिका द्वारा किया गया समझौता टीपीपी नहीं है। क्योंकि यह एशियाई देशों के साथ कारोबारी समझौता नहीं बल्कि आर्थिक नीतियों का एक ढांचा है।

सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ताइवान की सुरक्षा के लिए वह ताकत का इस्तेमाल करना चाहेंगे। जापान की पहली यात्रा पर आए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिस तरह से बयान दिए हैं, उन्हें ताइवान पर तथाकथित रणनीतिक अस्पष्टता की नीति से बड़े परिवर्तन का संकेत माना जा रहा है

वहीं जब पत्रकार वार्ता में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से एक पत्रकार ने पूछा कि क्या अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उस स्थिति में अमेरिका उसकी रक्षा करेगा ? तो बाइडेन ने कहा, ” हां हम ताइवान की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने वन चाइना नीति पर समझौता किया है। हमने इस पर और इसके साथ हुई सहमतियों पर हस्ताक्षर किया है। लेकिन यह सोचना की इसे ताकत के जरिये हासिल किया जाए, यह बिल्कुल भी उचित नहीं है।

चीन लोकतांत्रिक देश ताइवान को “वन चाइना” नीति के तहत अपना हिस्सा मानता है। बीजिंग का कहना है कि अमेरिका के साथ उसके रिश्ते में यह सबसे संवेदनशील मुद्दा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयान के बाद चीनी विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति बाइडेन के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्री ने बयान जारी करते हुए कहा कि चीन के पास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के अहम हितों के मुद्दे पर कोई समझौता या रहम करने की गुंजाइश नहीं है। चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि किसी को भी चीनी लोगों के मजबूत इरादों, दृढ़ इच्छाशक्ति और ताकतवर क्षमताओं को कम नहीं आंकना चाहिए।

वहीं चीन हमेशा क्वाड के लिए भी अमेरिका सहित इसमें शामिल देशों की आलोचना करता रहा है। ताजा बैठक के मौके पर भी चीन ने कहा है कि यह संगठन अपने इरादों में नाकाम हो जाएगा।

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