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श्रीलंका के बाद मालदीव छोड़कर गोटाबाया राजपक्षे सिंगापुर हुए रवाना

श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अब मालदीप छोड़कर सिंगापुर के लिए रवाना हो गए है।श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच 13 जुलाई को देश छोड़कर मालदीव चले गए थे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजपक्षे सऊदी एअरलाइन के विमान एसवी788 से मालदीव के लिए रवाना हुए थे। राजपक्षे ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने का वादा किया था लेकिन अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने श्रीलंका छोड़ने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया था।

वंही श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने आज गोटबाया राजपक्षे को सूचित किया कि उन्हें जल्द से जल्द राष्ट्रपति के तौर पर अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए, वरना वह उन्हें पद से हटाने के लिए अन्य विकल्पों पर गौर करेंगे। इससे पहले संसद के अध्यक्ष ने कहा था कि राष्ट्रपति ने टेलीफोन पर बातचीत में उन्हें सूचित किया है कि वह 13 जुलाई को मध्यरात्रि से पहले ही अपना इस्तीफा पत्र सौंप देंगे। हालांकि, उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है।

न्यूज फर्स्ट लंका के मुताबिक, श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष अभयवर्धने ने यह भी कहा कि उन्होंने खुद के भी दबाव में होने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे को जल्द से जल्द इस्तीफा पत्र सौंपने के लिए कहा है।चूंकि कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति की गयी है तो संसद के अध्यक्ष का कार्यालय राष्ट्रपति के अपना इस्तीफा पत्र न देने पर उनका पद खाली कराने के विकल्पों पर विचार करने के लिए कानूनी प्रावधानों को तलाश रहा है।वंही श्रीलंकाई संसद के एक प्रवक्ता का कहना है कि राष्ट्रपति के अपना इस्तीफा पत्र न सौंपने के मद्देनजर 15 जुलाई को संसद का सत्र बुलाना निश्चित नहीं है।

प्रधानमंत्री के मीडिया प्रभाग ने 13 जुलाई को कहा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अध्यक्ष अभयवर्धने को ऐसा प्रधानमंत्री नामित करने के लिए कहा है जो सरकार तथा विपक्ष दोनों को स्वीकार्य हो।श्रीलंका में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। राजपक्षे के देश छोड़कर जाने के बाद 13 जुलाई के दोपहर बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद जाने के मुख्य मार्ग पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई, जिसके बाद कम से कम 84 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।

गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका 7 दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि श्रीलंका अब दिवालिया हो चुका है।

 

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