[gtranslate]
world

आखिर ऑस्ट्रेलिया में क्यों हो रहा है मधुमक्खियों का सफाया ? 

ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा शहद उत्पादक है। शहद ऑस्ट्रेलिया से दुनिया के अन्य देशों में निर्यात किया जाता है। लेकिन मधुमक्खियां यहां मुसीबत में हैं। ऑस्ट्रेलिया में शहद उत्पादन उद्योग को बचाने के लिए मधुमक्खियों को मारा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में अब इंसानों की तरह मधुमक्खियों के लिए ‘लॉकडाउन’ में रहने का समय आ गया है। इसको लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि शहद बनाने वाली मधुमक्खियों को मारकर यह उद्योग कैसे चलेगा? और क्या कारण है कि मधुमक्खियों को मारा जा रहा है। सामने आ रहा है कि इसका कारण एक खतरनाक बीमारी है और अगर इसे रोका नहीं गया तो पूरी इंडस्ट्री के धराशायी होने का खतरा है। ऑस्ट्रेलिया का शहद उद्योग वर्तमान में वारोआ मिटे प्‍लेग
 से त्रस्त है, यही वजह है कि हर दिन मधुमक्खियों को मारा जा रहा है।

ऑस्ट्रेलियन हनी बी इंडस्ट्री काउंसिल ने कहा है कि न्यूकैसल क्षेत्र में मधुमक्खी पालकों को किसी भी छत्ते या उपकरण को क्षेत्र के अंदर या बाहर नहीं ले जाना चाहिए। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलिया दुनिया के उन कुछ देशों में से एक था, जिसने  वारोआ मिटे प्‍लेग के प्रसार को सफलतापूर्वक रोका गया, जिसे मधुमक्खियों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस बार अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।  वारोआ मिटे  मधुमक्खियों पर हमला करता है। वोरोआ केवल मधुमक्खी कॉलोनियों में ही प्रजनन कर सकते हैं।

तिल के आकार का वोरोआ को पिछले हफ्ते सिडनी के पास एक बंदरगाह में पहली बार पाया गया था। यह छोटा घुन देश के बहु-अरब डॉलर के शहद उद्योग के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। 

कोई अन्य विकल्प नहीं है

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, कम से कम 600 छत्ते, जिनमें से प्रत्येक में 30,000 मधुमक्खियां हैं, नष्ट कर दिए गए हैं। लाखों मधुमक्खियों को मारने की भी योजना है। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों का कहना है कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए मधुमक्खियों को मारना ही होगा। इसके अलावा फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इन मधुमक्खियों को छह मील के दायरे में मारने के लिए एक रेडिएशन जोन बनाया गया है।

न्यू साउथ वेल्स के मुख्य पौध संरक्षण अधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि प्लेग से ऑस्ट्रेलिया के शहद उद्योग को 70 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

शहद कारोबार चौपट होने की संभावना

इस बीमारी ने ऑस्ट्रेलिया में मधुमक्खियों पर हमला किया है, जिससे उनकी उड़ने, भोजन एकत्र करने और शहद पैदा करने की क्षमता प्रभावित हुई है। ऑस्ट्रेलिया में मधुमक्खियों की संख्या पर प्लेग का बड़ा प्रभाव पड़ा है। प्लेग पहली बार जून के अंत में ऑस्ट्रेलिया में दिखाई दिया, और तब से शहद उत्पादकों ने पूर्ण तालाबंदी कर दी है।

पहली मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा 1822 में ऑस्ट्रेलिया पहुंची। ऑस्ट्रेलिया में अब बड़ी संख्या में मधुमक्खी पालक हैं और ग्रामीण इलाकों में हर घर में मधुमक्खियों को रखा जाता है। आज मधुमक्खियां और शहद यहां की अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्रोत हैं।

You may also like

MERA DDDD DDD DD