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भुखमरी के कगार पर अफगानी

तालिबानी सत्ता आने के बाद से ही अफगानिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस वजह से तमाम देशों ने राहत भी भेजी हैं। संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के मुताबिक करीब 90 फीसदी अफगान लोग भुखमरी के कगार पर हैं वहीं 1 लाख 50 हजार से अधिक परिवारों में 11 लाख अफगानों को मानवीय सहायता के लिए मूल्यांकन किया गया है। 40 लाख से अधिक लोगों की सहायता की जा चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग के अनुसार अफगानिस्तान में बढ़ते आर्थिक संकट ने छोटे उद्योग को प्रभावित किया है। निजी कंपनियों की बिक्री में कमी आई है। उत्पादों की उपभोक्ता मांग में भारी गिरावट के कारण इन कंपनियों ने अपने आधे से अधिक कर्मचारियों को हटा दिया है । दरअसल तालिबान सत्ता में आते ही वहां के लोगों को बराबर वेतन नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण लोग अपनी जरूरत की वस्तु लेने में भी झिझक रहें है।

संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग ने अफगानिस्तान के जरूरतमंद नागरिकों की सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष के साथ अपने सहयोग के बारे में बात की है। गौरतलब है कि बीते वर्ष अगस्त में तालिबान के नियंत्रण के बाद अफगान को दिए जा रहे सहायता में रुकावट आई थी। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया था कि भुखमरी की स्थिति से निपटने के लिए तकरीबन दो करोड़ लोगों को सहायता की जरूरत है।

अफगान में गरीबी की दर तालिबान सत्ता के आने से 95 प्रतिशत से अधिक हो गई है। वहीं 56 प्रतिशत दैनिक आय में गिरावट के बीच लोग देश छोड़ने की मांग कर रहे हैं। मानवीय संकट से जूझ रहे अफगान में लाखों लोग भुखमरी के कगार पर हैं। भुखमरी के साथ साथ अफगान कई तरह के संकट से जूझ रहा है। जिसमें मानवीय संकट , आर्थिक, क्लाइमेट, भूख और वित्तीय संकट शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स कुछ महीने पहले कहा था कि आने वाले सर्दी के मौसम को देखते हुए अफगानिस्तान की तुरंत 770 मिलियन डॉलर की मदद की जानी चाहिए।

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