हाल में ही संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट पेश कर तालिबान शाषन से मांग की थी कि महिलाओं के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पर रोक लगाई जाए । संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से कहा था कि महिलाओं के पहनावे पर लगे प्रतिबंधों को तत्काल हटाया जाए और लड़कियों को हिरासत में रखने पर रोक लगाई जाए । दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान ने मनमाने ढंग से लड़कियों को हिरासत में रखा है। जेलों में कैद महिलाओं के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया गया है। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों का हनन न करने की मांग की थी। इसके बावजूद तालिबान शासन अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करने पर तुला है। कई मुस्लिम देशों में शरिया कानून लागू है लेकिन पाकिस्तान जैसे अधिकतर इस्लामिक मुल्कों में यह कानून पूरी तरह से लागू नहीं है। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी थी यह नहीं कहा जा सकता है, लेकिन जब से तालिबान ने अफगानिस्तान की बागडोर अपने हाथों में ली है ,वहां की महिलाओं के हाल बद से बदतर हो गए हैं। अंदेशा लगाया जा रहा है कि ये स्थिति अब और भी भयावह होने वाली है।
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा का एक ऑडियो मैसेज हाल ही में सामने आया है। अखुंदजादा ने कहा है कि हम अफगानिस्तान में शरिया वापस लाकर रहेंगे। तालिबान शाषन में अफगानी महिलाओं पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। प्रतिबंधों के इसी क्रम में तालिबान ने महिलाओं के लिए एक और नया फरमान जारी किया है। तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा द्वारा जारी किए गए नए फरमान मुताबिक जो भी महिला पति के अलावा किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने के मामले में दोषी हुई तो उसकी पत्थरों से मार-मारकर हत्या कर दी जाएगी।
अफगानिस्तान में शरिया वापस लाकर रहेंगे
अखुंदजादा ने पश्चिमी देशों के लोकतंत्र को चुनौती देते हुए अफगानिस्तान में इस्लामिक कानून शरिया को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है । मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार तालिबान लीडर ने कहा कि आप कहते हैं कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है जब हम उन्हें पत्थर मारकर मार देते हैं, लेकिन जल्द ही व्यभिचार के लिए यह सजा लागू की जाएगी। दोषी महिलाओं को सरेआम कोड़े और पत्थर मारे जाएंगे। इसके अतिरिक्त तालिबानी सुप्रीम लीडर ने कहा कि क्या महिलाएं वो अधिकार चाहती हैं जिनकी बात पश्चिमी देश कर रहे हैं? ऐसे सभी अधिकार शरिया और मौलवियों की राय के खिलाफ हैं। वही मौलवी जिन्होंने पश्चिमी लोकतंत्र को उखाड़ फेंका। हमने पश्चिमी लोगों के खिलाफ 20 साल तक लड़ाई लड़ी और जरूरत पड़ी तो हम अगले 20 सालों तक भी लड़ाई लड़ते रहेंगे। हम अफगानिस्तान में शरिया वापस लाकर रहेंगे। इससे पहले भी तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने दौरान कहा गया था कि देश में शरिया कानून लागू होगा।
गौरतलबा है कि जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली थी तो उनके द्वारा आश्वाशन दिया गया था कि तालिबान महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं करेगा। बावजूद इसके अफगानिस्तान में महिलाओं से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर रोक लगा दी गई है। अधिकतर रोजगारों से महिलाओं को निकाल दिया गया। इसके अलावा इस अफगानिस्तान में महिलाओं के ब्यूटी पार्लर जाने और स्पोर्ट्स खेलने जैसी कई चीजों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।