पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के आने के बाद देश की आर्थिक और सियासी संकट की मार सीधे जनता पर पड़ रही है। आलम यह है कि कई जरूरी चीजों की कीमत आसमान छू रही है और लोग भुखमरी का शिकार होने लगे हैं। फलों और सब्जियों के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि किसी आम इंसान का इन्हें खरीदना लगभग नामुमकिन-सा हो चुका है। स्थिति इतनी बद से बदतर हो चुकी है कि आर्थिक हालात ने सब कुछ तबाह कर दिया है। इसका अंदाजा इतनी-सी बात से लगाया जा सकता है कि महिलाओं को अपना पेट भरने के लिए मजबूरन अपना देह ,किडनी बेचानी पड़ रही है। यहां तक कि उन्हें अपनी बच्चियों को बेचना उनकी मजबूरी बन गई है। हाल ही में बल्ख प्रान्त से एक मामला सामने आया है। जहां एक परिवार को मजबूरन अपने बच्चे को बेचने का कदम उठाना पड़ा। हालांकि बच्चे को प्रशासन द्वारा बचा लिया गया है।
इस मामले के संदर्भ में बल्ख के डिप्टी गवर्नर नूरुल हादी अबू इदरीस का कहना है कि कुछ दिनों पहले रेड क्रॉस के साथ एक बैठक की गई थी। रेड क्रॉस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मिशन मानवीय जिन्दगी व सेहत को बचाना है। अफगानी डिप्टी गवर्नर ने कहा है कि हम इन संस्थानों के सदस्यों को हमारी सहायता करने के तरीके से रू-ब-रू कराएंगे। वहीं टोलो न्यूज के अनुसार बच्चे की मां का कहना है कि गरीबी और भूखमरी के कारण अपने बच्चे को बेचने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ा था। दरअसल बच्चे की माँ आर्थिक तंगी से गुजर रही है। यहां तक कि उनके घर में ईंधन से लेकर खाने तक कुछ भी नहीं है। सर्दियों के लिए कोई तैयारी नहीं की गई है। बच्चे की माँ ने मजबूरी बताते हुए कहा , मुझे अपनी बेटी को बेचना है ताकि वो सर्दियों के लिए कुछ सामान ला सके।
नसरीन नाम की इस औरत ने बताया कि बच्चों सहित इस प्रान्त में रहने वाले निवासियों की खराब स्थिति के बारे में अधिकारियों को बताया था। एक साल से ज्यादा वक्त हो गया लेकिन न ही स्थानीय सरकार ने और न ही मानवीय एजेंसियों ने उन्हें अब तक कोई सहायता दी है । नसरीन के मुताबिक वो खुद दो या तीन बार अफसरों के पास गई और मदद के लिए गुजारिश की। नसरीन ने अपना नाम सहायता सूची में डालने के लिए उनसे गुजारिश भी की तब उन्होंने जवाब दिया था उनका नाम डाल दिया गया है लेकिन अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है।
गौरतलब है कि यह पहला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले भी 38 वर्षीय अब्दुलकादिर नाम के अफगानी शख्स ने तुर्की के न्यूज़ चैनल टीआरटी वर्ल्ड को बताया था कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वो अपने एक बच्चे को 1 लाख 50 हजार रुपए में बेचने को तैयार है। अब्दुलकादिर के मुताबिक इससे वो अपने परिवार के अन्य लोगों को बचा सकता है। आर्थिक तंगी से निपटने के लिए ये व्यक्ति अपनी किडनी बेचने के लिए अस्पताल तक पहुंच गया था। उस दौरान डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि अगर सर्जरी हुई और किडनी निकाल दी गई, तो वो मर सकता है लेकिन इसके बावजूद वे किडनी बेचना चाहते थे। .
तालिबानी शासन के बाद अफगानिस्तान से ऐसी कई खबरे आई हैं जिनमें अफगानी जनता को गरीबी और भूखमरी के कारण कभी अपनी किडनी तो कभी अपने बच्चे बेचने की नौबत आई है। यहां तक कि महिलाओं की अपना जिस्म भी बेचना पड़ा ।
बाल विवाह में हुई बढ़ोतरी
गरीबी के चलते अफगान में पिछले साल से बाल विवाह जैसे मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के नवम्बर में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में एक अफगानिस्तानी मजदूर फजल को अपनी 13 और 15 साल की दोनों लड़कियों को बेचना पड़ा था । उन दोनों बच्चियों से शादी करने वाले युवक की उम्र उन लड़कियों से दुगुनी थी। इसके लिए उन्हें 3 हजार डॉलर यानी 2 लाख 30 हजार की रकम मिली थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर ये पैसा खत्म हो जाता है तो उसे अपनी 7 साल की बच्ची को भी बेचना पड़ेगा। उन्हें अपने परिवार के अन्य लोगों का पेट पालने के लिए ऐसा करना पड़ा हालांकि उन्हें इस बात का काफी अफ़सोस है ।
गौरतलब कि अफगानिस्तान में बीते वर्ष 500 डॉलर्स से 2000 हजार डॉलर्स के बीच लड़कियां बेची गई थी। यहाँ के लोग अपना कर्जा चुकाने के लिए भी अपनी लड़कियों को बेच रहे हैं। वजमा नाम के एक शख्श ने पिछले साल अपनी 9 साल की बेटी को अपने मकान मालिक को बेच दिया था क्योंकि वो किराया नहीं चुका पा रहा था। उसी दौरन एक और मामला सामने आया था जहां एक शख्स ने अपने पांच बच्चों को मस्जिद में ही छोड़ दिया था क्योंकि वो उनकी देखभाल नहीं कर पा रहा था। जिनमे से तीन बच्चियां जो 13 साल से कम उम्र की थी, उसी दिन उन्हें बेच दिया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि देश में तालिबान राज के बाद से ही ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
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