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महिलाओं पर प्रतिबंध के चलते खतरे में अफगानी अर्थव्यवस्था

अफगानिस्तान में तेजी के साथ बढ़ती गरीबी के आंकड़ों पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेताबनी जारी कर डाली है। चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अगले 13 महीनों को अफगानिस्तान के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से खतरनाक बताया है। साथ ही कहा है कि अफगान में बच्चों, बुजुर्गों या विकलांग लोगों के साथ अफगान परिवारों को हर वर्ष 30 करोड़ डालर का नकद भुगतान ही तेजी से बढ़ रही गरीबी की दर को कम कर सकता है।

 

दरअसल ,अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान द्वारा कब्जा करने के बाद से देश को मिलने वाली अंतर्राष्ट्रीय सहायता में कमी आई है। जिसके कारण अफगान की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली ढहने के कगार पर है। वहीं कोविड-19 महामारी और सूखे ने पहले से गंभीर हालातों को बदतर करने का काम किया है। यूएनडीपी के एक अनुमान की अनुसार , अफगानिस्तान में गरीबी साल 2022 के मध्य तक गंभीर रूप ले सकती है। आशंका है कि देश के करीब 3.9 करोड़ लोग में 90 फीसदी लोगो पर इसका प्रभाव पड़ेगा।वही संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अपने एक बयान में कहा है कि अफगान के करीब 2.28 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

गौरतलब है कि यूएनडीपी ने अफगानिस्तान के लिए एक विशेष ट्रस्ट फंड की स्थापना की थी जिसमें जर्मनी ने करीब 5 करोड़ यूरो की आर्थिक सहायता करने का वादा किया था। यूएनडीपी द्वारा स्थापित इस फंड को पूरे विश्व से करीब 17 करोड़ डालर की आर्थिक सहायता मिल चुकी है। यूएनडीपी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी के तौर पर बताया गया है कि निकट भविष्य में अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार के आसार नहीं हैं। साथ ही बताया गया है कि जब तक अफगान की काम करने वाली महिलाओं पर प्रतिबंध नहीं हटाया जाता तब तक आर्थिक बढ़ोतरी संभव नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक देश में महिला रोजगार को प्रतिबंधित करने से करीब 60 करोड़ डालर से एक अरब के बीच का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। इसी बिच तालिबान सरकार अपनी छवि सुधरते हुए। अफगानिस्तान में हो रहे महिलाओं की जबरन शादी पर रोक लगा दिया है।

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