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युद्ध, आपदा और सत्ता परिवर्तन का वर्ष

 

सिंहावलोकन-2024/दुनिया

 

2024 में एक ओर जहां भारी उथल-पुथल के साथ कहीं सत्ता परिवर्तन हुआ तो कहीं तख्तापलट, वहीं दूसरी तरफ भारत में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई तो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता में वापसी की। इधर बांग्लादेश में शेख हसीना और सीरिया में बशर-अल-असद की सरकारों का पतन हुआ। राजनीति में ऐसे मोड़ आए जिनकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। कई देशों में नए नेता उभरे तो कुछ पुराने चेहरे गायब हो गए। ऐसे में एक नजर डालते हैं उन घटनाओं और खबरों पर जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया

इजरायल-गाजा के बीच संघर्ष
इजरायल-गाजा संघर्ष साल 2023 की तरह 2024 में भी खबरों में बना रहा। यह युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले के साथ शुरू हुआ जो 2024 में पूरे साल चलता रहा और अब भी जारी है। इसमें 50 हजार से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है।

लेबनान पर पेजर अटैक
लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों को मारने के लिए इजरायल ने पेजर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। इसमें बैटरी के पास विस्फोटक लगाया गया और फिर सही वक्त आने पर उसमें धमाका कर दिया गया। हिजबुल्लाह के लड़ाके लम्बे वक्त से इसका इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी थी।

रूस-यूक्रेन का युद्ध
इस युद्ध की शुरुआत रूस ने यूक्रेन पर फरवरी 2022 में हमला कर की थी। रूस- यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। इस युद्ध में दोनों तरफ से लाखों लोगों के मारे जाने का अनुमान है।

सूडानी गृहयुद्ध
सूडान में 2023 में शुरू हुआ गृहयुद्ध बिना किसी समाधान के जारी है। दो प्रतिद्वंद्वी सैन्य गुट अभी भी नियंत्रण के लिए होड़ कर रहे हैं और अनुमान है कि संघर्ष शुरू होने से अब तक 1 लाख लोग मारे गए हैं।

सत्ता परिवर्तन

रूस: रूस में अप्रैल 2024 में राष्ट्रपति चुनाव हुए। व्लादिमिर पुतिन को पांचवीं बार राष्ट्रपति चुना गया।
ब्रिटेन: 4 जुलाई 2024 को हुए चुनाव में ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी हार गई। लेबर पार्टी ने 410 सीटों के साथ भारी जीत हासिल की और कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री बने।
दक्षिण अफ्रीका: 29 मई 2024 को यहां चुनाव हुए। सत्तारूढ़ अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी रही लेकिन बहुमत खो बैठी।
जापान: 27 अक्टूबर 2024 को जापान में आम चुनाव हुए। प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की पार्टी एलडीपी बहुमत से पीछे रह गई। गठबंधन ने 215 सीटें जीतीं।
बांग्लादेश: बांग्लादेश में जनवरी 2024 में संसदीय चुनाव में हुए। शेख हसीना की पार्टी ने 222 सीटें जीतकर पांचवीं बार हसीना प्रधानमंत्री बनीं।
पाकिस्तान: पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को हुए चुनाव में पीएमएल-एन ने 75 सीटें जीतीं और शहबाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इमरान खान चुनाव नहीं लड़ सके, लेकिन उनके समर्थकों ने 100 सीटें जीतीं।
श्रीलंका: 21 सितंबर 2024 को वामपंथी नेता अनुरा कुमारा
दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनाव जीता। उनकी पार्टी एनपीपी ने संसदीय चुनाव में भी बहुमत हासिल किया।
अमेरिका: अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुए। रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेट्स की कमला हैरिस को हराकर दूसरी बार राष्ट्रपति पद पर जीत दर्ज की। वे 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।
मालदीव: मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव में पीपुल्स नेशनल कांग्रेस को जीत मिली और मोहम्मद मुइज्जू ने देश के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
ईरान: इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद मोहम्मद मोखबर देश के राष्ट्रपति चुने गए।

धुर-दक्षिणपंथी सरकारों का उदय
वर्ष 2024 में कई देशों में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के सत्ता हासिल करने में भी वृद्धि देखी गई। यह प्रवृत्ति वैश्विक राजनीतिक भावनाओं में व्यापक बदलाव को दर्शाती है, जहां राष्ट्रवाद और रूढ़िवादी विचारधाराएं अधिक प्रमुख होती जा रही हैं। ये परिवर्तन घरेलू नीतियों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करेंगे।

बांग्लादेश में छात्र आंदोलन
वर्ष 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी का कोटा दिया जाता था। इसी के विरोध में बांग्लादेश में छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे ये प्रदर्शन हिंसक झड़प में बदल गया,जिसमें कई लोग मारे गए।

शेख हसीना का तख्ता पलट
बांग्लादेश में अगस्त के महीने में हिंसक प्रदर्शनों के बाद पीएम शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया। शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ली। युनूस मोहम्मद के नेतृत्व में वहां एक अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली।

भारत बांग्लादेश में बढ़ा तनाव
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन बाद भारत लगातार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से शिकायत कर रहा है कि वह हिंदुओं समेत बाकी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का सीधा असर व्यापार पर भी पड़ रहा है। भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक अगस्त 2024 में भारत का निर्यात 28 फीसदी गिरा है।

सीरिया में तख्तापलट
सीरिया लम्बे समय से गृहयुद्ध से जूझ रहा था। राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ कई गुट सीरिया में लड़ाई लड़ रहे थे। 27 नवम्बर को विद्रोही गुट ने शहरों पर कब्जा करना शुरू किया और अपनी पकड़ मजबूत की। इसके बाद मुख्य गुट हयात तहरीर अल-शाम ने बशर अल असद सरकार का तख्तापलट किया और बशर को देश छोड़ने पर मजबूर किया।

तल्ख हुए भारत और कनाडा के रिश्ते
साल 2024 में भारत और कनाडा के रिश्तों में दरार आई। विवाद का कारण कनाडा में एक अलगाववादी सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा है। कनाडा ने इस हत्या में भारत का हाथ बताया। इसका भारत ने विरोध किया। जिसके बाद हालात और बिगड़ते गए। हालात यहां तक बिगड़ गए कि दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।

एचआईवी का इंजेक्शन
ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी की वैक्सीन खोजने का रिकॉर्ड भी साल 2024 के खाते में दर्ज है। इस इंजेक्शन को लेनकापाविर नाम दिया गया है। फेज 3 के ट्रायल के दौरान इसे 96 फीसदी तक इफेक्टिव पाया गया।

महामारियों की दस्तक
कोविड-19 के नए वेरिएंट्स के साथ ही 2024 में एक अन्य घातक महामारी ने दस्तक दी। इस महामारी ने अफ्रीका और एशिया के कई हिस्सों को अपनी चपेट में लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में मंकीपॉक्स के 97 हजार 281 मामले दर्ज किए गए थे। इतना ही नहीं दुनिया में मंकीपॉक्स के कारण 208 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी भी घोषित किया था।
स्वास्थ्य संकट: अफ्रीका के कई हिस्सों में इबोला और अन्य संक्रामक रोगों का प्रकोप जारी रहा। इसने लाखों को अपनी चपेट में ले लिया था।

बिगड़ता पर्यावरण
भारत में दिल्ली की हवा दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। भारत, चीन समेत कई देश पॉल्यूशन की वजह से स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानियों से परेशान हो रहे हैं। एयर पॉल्यूशन के कारण एक निश्चित समय अंतराल में 81 लाख लोगों की जान गई है।

जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र स्तर में वृद्धि और अधिकाधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा। जलवायु परिवर्तन पर हुए एक नए विश्लेषणात्मक अध्ययन में दावा किया गया कि अगर ग्लोबल वार्मिंग का स्तर 2 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाता है तो अगली एक सदी में एक अरब लोग मारे जाएंगे।

लास वेगास की गर्म लहर
लास वेगास में 2024 में अभूतपूर्व गर्मी की लहर चली जिसमें तापमान रिकॉर्ड 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस भीषण गर्मी के कारण कई गर्मी से संबंधित बीमारियों के चलते 342 लोगों की मौत हो गई।

हज के दौरान गर्मी से मौतें
14 से 19 जून के बीच वार्षिक हज यात्रा के दौरान भीषण गर्मी की वजह से 1300 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की गर्मी से सम्बंधित मौतें हुईं।

जाम्बिया में सूखा
जाम्बिया में भयंकर सूखा जारी है, जिससे कम वर्षा और खाद्यान्न की कमी के कारण लगभग 2.3 मिलियन लोग भूखमरी के खतरे में हैं।

प्राकृतिक आपदाएं
साल 2024 की शुरुआत में ही टोक्यो की धरती भूकंप से कांपी। यहां 7.8 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके इतने जोरदार थे कि उसमें पूरा शहर थरथरा गया। इतना ही नहीं इसमें कई ऊंची इमारत जमीन में गिरकर धराशायी हो गई थीं।

नोटो भूकंप
वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी को जापान के नोटो प्रायद्वीप में आए एक बड़े भूकंप से हुई, जिससे व्यापक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा और 280 से अधिक लोगों की जान चली गई।

साउथ कोरिया विमान हादसा
साउथ कोरिया में 29 दिसंबर 2024 को हुए एक विमान हादसे में 179 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना जेजू एयर के बोइंग 737-800 विमान के मुआन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान हुई।

कजाखस्तान विमान हादसा
25 दिसंबर 2024 को कजाखस्तान में एक भयानक विमान हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई। यह घटना अजरबैजान एयरलाइंस के विमान की थी जो कजाखस्तान के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ।

राजकोट के गेमिंग जोन में लगी आग
भारत के गुजरात में 25 मई 2024 को एक गेमिंग जोन में भीषण आग लगने की घटना में 35 लोगों की मौत हो गई।

यागी तूफान ने मचाई तबाही
दक्षिण-पश्चिम एशिया में आए तूफान यागी ने 800 से अधिक लोगों की जान ले ली। यागी ने दो सितंबर को फिलीपींस में दस्तक दी। उसके बाद लाओस, म्यांमार, वियतनाम और थाईलैंड में तबाही मचाई। इसकी वजह से भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण हजारों घरों और खेती की जमीन का भारी विनाश हुआ। चीन में बाढ़ से 15.6 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और 315 लोगों की मौत हुई।

विनाशकारी आपदाओं से थर्राया यूरोप
यूरोपीय देशों में आर्थिक रूप से तबाही मचाने वाली तीन आपदाएं आईं। इनमें मध्य यूरोप में तूफान बोरिस तथा स्पेन और जर्मनी में भीषण बाढ़ जैसी घटनाएं हुईं। इनके कारण 13.87 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ और 258 लोग मौत के मुंह में समा गए। इनमें से 226 लोग तो वालेंसिया की बाढ़ में मारे गए। ब्राजील के रियो ग्रांडे डो सुल राज्य में बाढ़ से 183 लोगों की जान चली गई।

गोफा भूस्खलन
21 और 22 जुलाई को इथियोपिया के गोफा क्षेत्र में दो भूस्खलन हुए। इन भूस्खलनों के कारण लगभग 250 लोगों की जान चली गई। इस आपदा ने पर्यावरण क्षरण से उत्पन्न चुनौतियों और टिकाऊ भूमि प्रबंधन प्रथाओं की आवश्यकता को उजागर किया।

तूफान हेलेन
सितम्बर में तूफान हेलेन ने दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावित किया जिससे कम से कम 235 लोगों की मौत हो गई।

मोजाम्बिक में चक्रवात चिडो
दिसंबर में चक्रवात चिडो ने मोजाम्बिक में दस्तक दी जिससे 94 लोगों की मौत हुई, सैकड़ों लोग घायल हुए।

मानव-जनित त्रासदियां मास्को के कॉन्सर्ट हॉल में गोलीबारी
22 मार्च को मास्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में गोलीबारी हुई जिसमें 154 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया।

स्पेन में अचानक बाढ़
अक्टूबर के अंत में स्पेन ने दशकों में अपनी सबसे घातक बाढ़ का सामना किया। जिसके कारण कम से कम 231 लोगों की मौत हो गई और व्यापक विनाश हुआ।

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